हाइलाइट्स
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नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ें को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका
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8000 वर्ग फिट में बने कॉलेज को मान्यता देने के खिलाफ याचिका
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हाईकोर्ट ने सरकार से नए नियम लागू करने को लेकर मांगा जवाब
Nursing College Scam मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका पहुंची है. याचिका पर जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने सुनवाई की.
याचिका में 8000 वर्ग फिट में कॉलेज भवन निर्माण के राज्य सरकार के नए नियम को चुनौती दी गई है. यह याचिका लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से लगाई गई है. कोर्ट ने सरकार से अगली सुनवाई की तारीख से पहले जवाब मांगा है.
पुराने नियमों में क्या था
नया नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए और पुराने कॉलेज की मान्यता रिन्यू कराने के लिए पुराने नियमों में 20 हज़ार से 23 हज़ार वर्ग फिट की जगह का होना जरूरी था.
राज्य सरकार ने इसे बदलकर भवन के लिए 8000 वर्ग फिट की अनिवार्यता का नियम बनाया था. हाईकोर्ट में इसी नियम को चुनौती दी गई.
याचिकाकर्ता ने दिय ये तर्क
मामले (Nursing College Scam) में याचिकाकर्ता ने तर्क दिए हैं कि हाईकोर्ट के आदेश पर बीते 2 सालों में हुई. सीबीआई जांच के आधार पर प्रदेश के 66 नर्सिंग कॉलेज अनसूटेबल पाये गये हैं.
जिसमें कई सरकारी कॉलेज भी शामिल हैं. सरकार ने इन्हीं नर्सिंग कॉलेजों को नए सत्र से बैकडोर एंट्री देने के लिए नए नियमों में राहत दी है.
नर्सिंग कॉलेजों से संबंधित मानक और मापदंड तय करने वाली अपेक्स संस्थान इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) के रेग्युलेशन 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि 23,200 वर्गफ़ीट के अकादमी भवन युक्त नर्सिंग कॉलेज को ही मान्यता दी जा सकती है .
उसके बावजूद आईएनसी (INC) के मानकों के विपरीत जाकर सरकार ने नए नियम अपात्र कॉलेजों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए हैं.
कोर्ट ने मांगा जवाब
राज्य सरकार और नर्सिंग काउंसिल (Nursing Council) की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत सिंह, अभिजीत अवस्थी ने कोर्ट के सामने तर्क रखे.
उन्होंने कहा कि नये नियम बनाने के अधिकार राज्य शासन के पास हैं इसलिए इन्हें गलत नहीं कहा जा सकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता के आरोपों पर जवाब देने के लिए हाईकोर्ट कुछ समय दे.
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कॉलेजों की शिथिलता के संबंध में आश्चर्य व्यक्त किया और सुनवाई की अगली तारीख तक जवाब पेश करने के लिए कहा गया.
सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू की गई तब भी नये नियमों को लागू नहीं किया जाएगा. जवाब के बाद ही नए नियमों के तहत कॉलेजों को मान्यता दी जाएगी.