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Chaitra Navratri 2023 : अष्टमी तिथि पर क्यों हुई थी मां चंडी की स्थापना! जान लें महत्व

Chaitra Navratri 2023 : अष्टमी तिथि पर क्यों हुई थी मां देवी चंडी की स्थापना! जान लें महत्व chaitra-navratri-2023-why-mother-goddess-chandi-was-established-on-ashtami-tithi-know-its-importance-pds

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Preeti Dwivedi
Chaitra Navratri 2023 : अष्टमी तिथि पर क्यों हुई थी मां चंडी की स्थापना! जान लें महत्व

नई दिल्ली।Chaitra Navratri 2023 चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो चुकी हैं। इस दौरान सबसे अधिक खास दिन जो माना जाता है वह है मां दुर्गा अष्टमी। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी  इस साल 29 मार्च को आने वाली है। इस दिन कुल देवी की पूजा का विशेष महत्व होता है। तो चलिए आप भी जान लें मां दुर्गा अष्टमी पूजा से जुड़ी जरूरी बातें।

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वंश वृद्धि के लिए होगी कुल देवी की पूजा - Chaitra Navratri 2023
दुर्गाष्टमी Durga Ashtami  पर कई लोग कुल देवी का पूजन करते हैं। सबकी अपनी परंपरा अनुसार सप्तमीए अष्टमी और नवंमी पर भी होता है लेकिन अधिकतर घरों में अष्टमी पूजन किया जाता है। पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार कुल देवी वंश को आगे बढ़ाने वाली होती हैं। इसलिए इस वंश वृद्धि घर के कुल की सलामती के लिए कुल देवी का पूजन किया जाता है।

यह रही दुर्गा अष्टमी की कथा - Chaitra Navratri 2023 ashtmai tithi 
कथा अनुसार दो राक्षसों शुंभ और निशुंभ द्वारा देवताओं को हराए जानें के बाद देवलोक पर आक्रमण कर दिया गया। इसके बाद चंड व मुंड सेनापतियों को भेजा गया। तब इसी दिन यानी अष्टमी पर इस दौरान देवताओं की प्रार्थना पर मां पार्वती द्वारा देवी चंडी की रचना की गई। तब मां चंडी ने चंड और मुंड का वध किया। इसी दौरान मां पार्वत द्वारा चंडी देवी को चामुंडा नाम दिया गया।

इन शक्तियों की होती है पूजा Chaitra Navratri 2023 puja 
महाअष्टमी पूजन का हमारे धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन मां के 64 योगिनियों, मां के 8 रूपों यानि मां की अष्ट शक्तियों की पूजा की जाती है। मां के विभिन्न रूपों में मां की विभिन्न शक्तियाँ का स्वरूप झलकता है। इस दौरान मां ब्राह्मीए माहेश्वरीए कौमारीए वैष्णवीए वारहीए नरसिंहीए इंद्राणी और चामुंडा आठ शक्तियों की पूजा की जाती है।

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संधि पूजा का है खास महत्व
अष्टमी पूजन पर संधि पूजा sandhi puja का विशेष महत्व है। संधि जैसे नाम से ही स्पष्ट है जब दो तिथियों का मिलन होता है। उसे संधि कहते हैं। इसी तरह जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि शुरू होती है। उस समय को संधि पूजा कहते हैं। इसी समय पर संधि पूजा की जाती है। ये पूजा इसलिए खास मानी जाती है कि इस संधि के दौरान ही देवी चामुंडा माता ने चंड और मुंड राक्षसों का वध किया था।

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