Chaitanya Baghel ED Custody, CG Liquor Scam News: छत्तीसगढ़ में कथित ₹2500 करोड़ के शराब घोटाले (Liquor Scam in Chhattisgarh) की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल (Chaitanya Baghel Arrest News) की दूसरी बार रिमांड की मांग नहीं की। इससे विशेष अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में 14 दिन के लिए जेल भेज दिया।
ईडी ने चैतन्य को 18 जुलाई को उनके रायपुर स्थित निवास से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें पांच दिन की रिमांड पर भेजा। इस दौरान पूछताछ में ईडी ने कई अहम जानकारियाँ इकट्ठी कीं, लेकिन रिमांड खत्म होने पर पुनः कस्टडी की मांग नहीं करना सबको चौंका गया।

ईडी ने क्यों नहीं मांगी दोबारा रिमांड
जैसे ही पांच दिन की रिमांड पूरी हुई, यह अनुमान लगाया जा रहा था कि ईडी एक बार फिर कम-से-कम पांच दिन की रिमांड मांगेगी। लेकिन कोर्ट में पेशी के दौरान जांच एजेंसी ने कोई नई रिमांड मांगने से इनकार किया, जिससे अदालत ने आरोपी को न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया।
जानकारों का कहना है कि जांच एजेंसियां अक्सर ऐसे बड़े मामलों में रिमांड समय को रणनीतिक रूप से बचाकर रखती हैं (ED Remand Strategy in Financial Crime Cases)। यह इसलिए किया जाता है ताकि आगे किसी महत्वपूर्ण मोड़ पर, जैसे क्रॉस एग्जामिनेशन (Cross Examination) या किसी अन्य आरोपी को सामने लाकर पूछताछ करनी हो, तब नई रिमांड के लिए आवेदन किया जा सके।
जेल से पहले मुलाकात
चैतन्य से जेल भेजे जाने से पहले उनके पिता भूपेश बघेल और परिवार के सदस्य ईडी कार्यालय पहुंचे थे। मुलाकात के बाद भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत में दोहराया कि उन्हें राजनीतिक बदले की भावना से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह अडानी के पेड कटाई मुद्दे (Adani Tree Felling Controversy) को उठा रहे हैं, इसलिए केंद्र सरकार के इशारे पर उन्हें और उनके परिवार को परेशान किया जा रहा है (Political Vendetta Allegation against ED)।
किसी आरोपी को अधिकतम कितने दिनों तक रिमांड पर रखा जा सकता है?
भारतीय कानून के अनुसार, कोई भी जांच एजेंसी – जैसे पुलिस, सीबीआई या ईडी – आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट से रिमांड मांग सकती है। पहली बार आमतौर पर 3 से 5 दिन की रिमांड मिलती है। परंतु किसी भी आरोपी को एक बार में अधिकतम 15 दिन तक की पुलिस रिमांड ही दी जा सकती है (Maximum 15 Days Police Custody Allowed Under Law)।
यह सीमा गंभीर मामलों में ही पूरी तरह इस्तेमाल होती है, खासकर तब जब मामला बहुत बड़ा हो, फर्जीवाड़ा जटिल हो या आरोपी का राजनीतिक/प्रशासनिक रसूख अधिक हो। हालांकि, कोर्ट को अधिकार है कि वो रिमांड अवधि घटा भी सकती है, यह पूरी तरह केस की गंभीरता और जांच की प्रगति पर निर्भर करता है (Judicial Discretion in Granting Remand)।
रणनीति के तहत उठाया गया कदम या कुछ और?
ईडी द्वारा रिमांड न मांगना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह दिखाता है कि जांच एजेंसियां अब साक्ष्य और गवाहों की पुष्टि करने की दिशा में काम कर रही हैं, और संभव है कि आगे के चरण में वे चैतन्य बघेल को फिर से रिमांड पर लेने का प्रयास करें।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (CG Liquor Scam News) से जुड़े घटनाक्रम लगातार राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा का विषय बने हुए हैं, और इस मामले की अगली सुनवाई और जांच की दिशा पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
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