हाइलाइट्स
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CGPSC घोटाले की जांच करेगी सीबीआई
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राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना की जारी
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ACB और बालोद के अर्जुंदा थाने में भी FIR दर्ज
CGPSC Scam: छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने अपना वादा पूरा कर दिया है. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाले की जांच CBI को दे दी गई है. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने मेनिफेस्टो में इस मामले का जिक्र किया था. अब इसको लेकर राज्य सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है.
सीजीपीएससी 2021-22 की सिलेक्शन लिस्ट विवादों में है. इस परीक्षा (CGPSC Scam) में आयोग के तत्कालीन चेयरमैन टामन सोनवानी, कांग्रेस के नेताओं और अधिकारियों के रिश्तेदारों के चयन का आरोप है. जिसको लेकर ACB और बालोद के अर्जुंदा थाने में भी FIR दर्ज कराई जा चुकी है.
बालोद के अभ्यर्थी ने की थी शिकायत
FIR में आयोग के पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी, पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक समेत अन्य अफसरों और नेताओं के नाम शामिल हैं. उधर 15 फरवरी को बालोद के एक अभ्यर्थी ने भी अर्जुंदा में लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी.
अभ्यर्थी ने बताया था कि वह साल 2021 में PSC की परीक्षा (CGPSC Scam) में शामिल हुआ था. वह प्रिलिम्स और मेंस पास होने के बाद इंटरव्यू तक पहुंचा और इंटरव्यू भी अच्छा गया, लेकिन उसका फिर भी चयन नहीं हुआ. तो वहीं कुछ लोग इंटरव्यू से तुरंत निकल गए, उसके बाद भी उनका चयन हो गया.
टॉप-15 नामों में भाई-भतीजावाद का लगा था आरोप
बता दें कि सीजीपीएससी 2021-22 में 171 पदों के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित किया गया था. 13 फरवरी 2022 को प्री-एग्जाम कराया गया था. इसमें 2 हजार 565 अभ्यर्थी पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए थे. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी कर दी गई.
इसमें टॉप-15 नामों में भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया गया. 17 मई को बीजेपी नेता गौरीशंकर श्रीवास ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर CGPSC मामले (CGPSC Scam) की जांच कराने की मांग की. इसके बाद पूर्व मंत्री कंवर हाई कोर्ट पहुंचे तो 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी.
बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इसमें राजभवन के सचिव अमृत खलको के बेटे और बेटी के डिप्टी कलेक्टर पद पर सिलेक्शन को लेकर सवाल खड़े किए गए थे. उन्होंने PSC अध्यक्ष टामन सोनवानी और कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के रिश्तेदारों के भी सिलेक्शन पर सवाल खड़ा किया.
आरोप लगाया कि पीएससी में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों ने सिर्फ रेवड़ियों की तरह नौकरियां नहीं बांटी, इसकी आड़ में करोड़ों का भ्रष्टाचार भी किया. जिसके बाद कोर्ट ने भी 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए सरकार को जांच करने कहा था.
बीजेपी ने मामले को बनाया था चुनावी मुद्दा
छत्तीसगढ़ में PSC का मुद्दा सियासी रण में काम करता दिखाई दिया था. बीजेपी ने इसे चुनाव मुद्दा बनाया था और सरकार आने पर CBI से जांच कराने का वादा किया था. प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही पहली ही कैबिनेट बैठक में CBI जांच का प्रस्ताव लाने की तैयारी की गई थी.