Surendra Bahadur Singh Passed Away: छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक सक्ती रियासत (Sakti Royal Family) के राजा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र बहादुर सिंह (Surendra Bahadur Singh) का निधन मंगलवार 29 अप्रैल को हो गया। वे 83 वर्ष के थे और बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने सक्ती के प्रसिद्ध हरी गुजर महल (Hari Gujar Mahal) में अंतिम सांस ली।
उनके निधन की खबर से पूरे सक्ती क्षेत्र (Sakti Region) में शोक की लहर है। राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में उनके योगदान को याद करते हुए लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
अविभाजित मध्यप्रदेश में निभाई थी सक्रिय राजनीतिक भूमिका
राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ना केवल एक रियासत के मुखिया थे, बल्कि उन्होंने अविभाजित मध्यप्रदेश (Undivided Madhya Pradesh) में कांग्रेस पार्टी से राजनीति में भी अपनी मजबूत पहचान बनाई थी। वे राज्य के कैबिनेट मंत्री (State Cabinet Minister) भी रहे और कई वर्षों तक सक्ती क्षेत्र की आवाज बने रहे।
राजनीति के साथ-साथ उन्होंने कई धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों (Religious and Educational Institutions) की स्थापना कर समाज सेवा में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
18 वर्ष की उम्र में बने थे सक्ती के राजा
राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह का राज्याभिषेक (Coronation) वर्ष 1960 में हुआ था, जब वे मात्र 18 वर्ष के थे। उस वक्त सक्ती रियासत का नेतृत्व उनके कंधों पर आया और तब से लेकर आज तक उन्होंने शाही परंपराओं को संभाले रखा। उनके छोटे भाई कुमार पुष्पेंद्र बहादुर सिंह (Kumar Pushpendra Bahadur Singh) का भी कुछ वर्ष पूर्व निधन हो चुका है।
सक्ती रियासत का ऐतिहासिक महत्व
सक्ती रियासत की स्थापना 1865 (Established in 1865) में हुई थी और शुरुआत में यह एक छोटी रियासत थी। इसके पहले राजा हरि गुजर (Hari Gujar) थे। बाद में यह राजवंश कई उतार-चढ़ावों से गुजरता हुआ राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह तक पहुँचा। उनकी विरासत, गरिमा और सेवाभाव आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।
क्षेत्र में शोक, लोगों की आंखें नम
राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के निधन के बाद सक्ती नगर में शोक का माहौल है। स्थानीय लोग, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होने पहुंचे। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
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