रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण को सियासी जारी है। बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं। सीजी सीएम भूपेश बघेल ने आरक्षण के मुद्दे को लेकर एक बार फिर राज्यपाल अनुसुइया उइके पर निशाना साधा है। सीएम ने कहा कि राज्यपाल के विधिक सलाहकार कौन हैं? सीएम ने कहा है कि राज्यपाल बीजेपी के नेताओं के दवाब में हस्ताक्षर नहीं कर रहीं हैं।
सीएम ने कहा कि यदि राज्यपाल के लिए ऐसा लगता है कि बिल हस्ताक्षर के योग्य नहीं है तो उसे वापस करें। सीएम ने का है कि बीजेपी के एक भी नेता ने राज्यपाल को हस्ताक्षर करने के लिए नहीं कहा है।रमन सिंह को समझना चाहिए की ये बिल मुख्यमंत्री का नहीं है, इसे अनिश्चितकाल तक अपने पास रखने का बहाना नहीं ढूंढें। आरक्षण बिल के लिए सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए विधानसभा से उसे सर्वसम्मति से पारित किया गया है।
वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल जब कुछ सवालों के जवाब मांगती हैं तो सरकार आधा अधूरा जवाब भेजती है। राज्यपाल का अधिकार है कि वे दस्तावेज देखकर फैसला लें। दूरगामी परिणाम क्या होगा, उस आधार पर राज्यपाल निर्णय लेंगीं। कांग्रेस पार्टी के लिए इतनी जल्दी क्यों है। मूणत ने कहा कि कांग्रेसी की गलत नीति जब भी सामने आती है तो राज्यपालों के ऊपर आरोप लगाए जाते हैं। ऐसे आरोप-प्रत्यारोप लगाना न्याय उचित नहीं।