बिलासपुर। CG Reservation Bill : छत्तीसगढ़ में चल रहे आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि यह मामला पिछले गवर्नर के समय का है, जो विवादित था। यह स्थिति सभी लोग जानते हैं। विवाद के चलते इस मामले के उसी समय पटाक्षेप हो चुका है। अब इसपर बात करने का कोई औचित्य नहीं है। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या छत्तीसगढ़ में यह रिजर्वेशन लागू हो पाएगा या नहीं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में इन दिनों आरक्षण के मामला गर्माया हुआ है। आरक्षण संशोधन बिल पर राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए जाने पर राज्यपाल को हाईकोर्ट से नोटिस जारी किया गया था। हाई कोर्ट ने राज्यपाल से जवाब तलब किया था। आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए जाने पर राज्यपाल से सवाल पूछे गए थे, जिसपर राज्यापाल ने जावब प्रस्तुत किया था।
किसके लिए कितना आरक्षण
अनुसूचित जनजाति – 32%
अनुसूचित जाति वर्ग – 13%
पिछड़ा वर्ग – 27%
ईडब्ल्यूएस – 4%
20 मार्च के दिन कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों ने छत्तसीगढ़ के राज्यपाल से मुलाकात कर आरक्षण विधेयक पर चर्चा की थी। इस दौरान मंत्री कवासी लखमा के साथ कांग्रेस के नेता मौजूद रहे। लखमा ने कहा कि राज्यपाल का रुख हमें सकारात्मक नहीं लगा। राज्यपाल से बहुत गंभीरता से बात हुई, लेकिन उम्मीद कम है। राज्यपाल भी बीजेपी के दबाव में हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होगा हम बार-बार आएंगे।
डॉ. रमन सिंह का बयान
वहीं इस मामले में कैबिनेट मंत्री कावासी लखमा के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी बयान दिया था। उन्होंने कहा कि राज्यपाल सर्वोच्च और संवैधानिक पद होता है। राज्यपाल नियम कायदे कानून से काम करते हैं, राज्य सरकार के निर्देश पर नहीं विधि विशेषज्ञों की राय लेकर वह अपनी बात करते हैं, इस प्रकार की राजनीतिक टिप्पणी राज्यपाल पर किया जाना छत्तीसगढ़ में ही देखने को मिलता है। राज्य सरकार के मंशा अनुरुप गवर्नर नहीं चलेंगे सरकार दबाव डालेगी तो नहीं होगा।