रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण बिल पर जारी सियासत धमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में लगे हुए हैं। हालांकि इस बीच राज्यपाल द्वारा आरक्षण विधेयक पर मांगे गए 10 सवालों के जवाब सरकार ने दे दिए हैं, जिन्हें सार्वजनिक भी कर दिया गया है। वहीं आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर न किए जाने पर कांग्रेस द्वारा लगातार बयानबाजी भी की जा रही है।
इस बीच सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि सवाले जवाब दिए जाने पर भी राज्यपाल कभी हमारे जवाबों से संतुष्ट नहीं हो सकतीं। सीएम ने कहा कि बीजेपी नेता कब राजभवन से यह कहेंगे कि विधेयक पर हस्ताक्षर करें। सीएम ने कहा कि विधानसभा में बीजेपी नेता विधेयक का समर्थन करते हैं और बाहर विरोध करते हैं। राज्यपाल आदिवासी समाज की हितेषी बनती हैं। अब वे आदिवासियों से ही नहीं मिल रहीं हैं। तीन विकल्प हैं, पहला- वो बिल वापस कर दें। दूसरा- राष्ट्रपति को भेजें। तीसरा- अनंत काल तक रख सकती हैं। सीएम न कहा कि बीजेपी जनता के बीच में विलेन नहीं बनना चाहती।
इस मामले में PCC चीफ मोहन मरकाम ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। पीसीसी चीफ ने बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। वहीं मंत्री कवासी लखमा ने कहा है कि यह बहुत दुखद है कि आरक्षण विधेयक को लेकर आदिवासियों से राज्यपाल ने मुलाकात नहीं की। राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट का रोल निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक है। बीजेपी ने इसका कितना दुरुपयोग किया ये हमें देखने को मिलेगा।