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रायपुर में शिक्षकों की काउंसिलिंग पर लगा ब्रेक: ऐसा क्या हुआ कि बीच में ही रोकनी पड़ी प्रक्रिया? अफसर भी थे लापता

Raipur Teachers Counselling: रायपुर में शिक्षकों की काउंसिलिंग पर लगा ब्रेक, ऐसा क्या हुआ कि बीच में ही रोकनी पड़ी प्रक्रिया? अफसर भी थे लापता

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Harsh Verma
Raipur Teachers Counselling

File Photo

Raipur Teachers Counselling: राजधानी रायपुर में आज शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (teacher rationalisation) की प्रक्रिया उस समय विवादों में घिर गई, जब साझा मंच के प्रांतीय संचालक विरेद्र दुबे (Virendra Dubey) ने काउंसिलिंग के तरीके पर सवाल उठाते हुए तीखा विरोध किया। इस विरोध के चलते भारी अव्यवस्था के बीच रायपुर मेडिकल कॉलेज में चल रही काउंसिलिंग को तत्काल रोकना पड़ा।

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तीन स्थानों पर होनी थी काउंसिलिंग, पर गड़बड़ियों ने बिगाड़ी व्यवस्था

आज रायपुर में तीन अलग-अलग स्थानों पर शिक्षकों की काउंसिलिंग होनी थी।

  1. प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की काउंसिलिंग पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में।

  2. पूर्व माध्यमिक शालाओं के लिए मेडिकल कॉलेज, जेल रोड में।

  3. हाई स्कूल व हायर सेकेंडरी शिक्षकों के लिए रायपुरा स्थित अंग्रेजी माध्यम स्कूल में।

लेकिन किसी भी स्थल पर शिक्षा विभाग (Education Department) के जिम्मेदार अधिकारी डीईओ (DEO) या बीईओ (BEO) मौजूद नहीं थे।

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साझा मंच ने उठाया आवाज, निगम कमिश्नर ने मानी गलती

मेडिकल कॉलेज में नोडल अधिकारी के रूप में मौजूद रायपुर नगर निगम कमिश्नर विश्वद्वीप ने जब विरेद्र दुबे द्वारा प्रस्तुत गड़बड़ियों को सुना, तो उन्होंने सूची में खामी स्वीकार की और तुरंत सुधार के निर्देश भी दिए। दुबे का तर्क था कि विषयवार काउंसिलिंग (subject-wise counselling) नहीं होने से कई शिक्षक गलत जगह भेजे जा रहे हैं और वहां जाकर वे फिर से अतिशेष हो जाएंगे।

तय समय सीमा भी हुई फेल, अब अधिकारियों पर कार्रवाई के आसार

डीपीआई (DPI) ने काउंसिलिंग की अंतिम तिथि 4 जून निर्धारित की थी, जिसकी रिपोर्ट 5 जून तक भेजनी थी। अब जबकि रायपुर में ये प्रक्रिया समय पर पूर्ण नहीं हो सकी, ऐसे में डीईओ और बीईओ जैसे जिम्मेदार अधिकारियों पर निलंबन (suspension) की तलवार लटक रही है।

सवालों के घेरे में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली

इस घटनाक्रम ने शिक्षा विभाग की लापरवाही को फिर से उजागर कर दिया है। जब काउंसिलिंग जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में जिम्मेदार अधिकारी ही मौजूद न हों और प्रशासनिक अफसर ही पूरी व्यवस्था देखें, तो गड़बड़ियों का होना तय है।

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