Raipur Skywalk CAG Report: राजधानी रायपुर का स्काई वॉक प्रोजेक्ट पिछले आठ सालों से राजनीतिक खींचतान का विषय बना रहा है। अब भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया है कि यह योजना बिना किसी ठोस उपयोगिता के अधूरी ही रह गई। रिपोर्ट के मुताबिक इस अधूरे प्रोजेक्ट पर 36.82 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जो पूरी तरह से व्यर्थ हो गए।
सीएजी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि इस परियोजना के लिए न तो प्रशासनिक स्वीकृति ली गई थी और न ही तकनीकी मंजूरी प्राप्त की गई थी। इसके बावजूद जल्दबाजी में टेंडर जारी कर निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि कंसल्टेंट द्वारा कार्य का पहला चरण भी पूरा नहीं किया गया था, फिर भी कार्यादेश जारी कर दिया गया। परिणामस्वरूप निर्माण में लगातार बाधाएं आती रहीं और अंततः परियोजना अधूरी रह गई।
यह भी पढ़ें: भूपेश के बेटे को हवाला के जरिए मिले पैसे: चैतन्य बघेल ने कई राज्यों में किया इन्वेस्ट, इन सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी
8 साल बाद फिर से शुरू होगा निर्माण, 37 करोड़ की मंजूरी
अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस बहुचर्चित और अधूरे स्काई वॉक प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की पहल की है। इसके लिए 37.75 करोड़ रुपए का टेंडर जारी कर दिया गया है। पीडब्ल्यूडी ने इस प्रोजेक्ट का जिम्मा पीएसएस कंस्ट्रक्शन रायपुर को सौंपा है। लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबे इस स्काई वॉक में 12 स्थानों पर ऐस्केलेटर और दो स्थानों पर अलग से सीढ़ियां बनाई जाएंगी।
अरपा भैंसाझार परियोजना भी फंसी सीएजी के निशाने पर
सीएजी की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की एक और प्रमुख योजना अरपा भैंसाझार परियोजना पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस योजना की शुरुआत भी बिना वन विभाग की स्वीकृति, पर्यावरण मंजूरी और अंतरराज्यीय अनुमति के कर दी गई थी। साथ ही केंद्रीय जल आयोग से डीपीआर की मंजूरी भी नहीं ली गई थी। भूमि अधिग्रहण में देरी के चलते दस वर्षों के बाद भी यह योजना अधूरी ही बनी हुई है।
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में जिंदा जलकर 4 लोगों की मौत: पुल से टकराने के बाद कार में लगी आग, दो युवक गंभीर रूप से हुए घायल