CG High Court on Principal Promotion: छत्तीसगढ़ में लंबे समय से विवादों में घिरे प्राचार्य प्रमोशन को लेकर आखिरकार हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है। जस्टिस रजनी दुबे (Justice Rajni Dubey) और जस्टिस एके प्रसाद (Justice AK Prasad) की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की प्रमोशन नीति (Principal Policy) को वैध ठहराते हुए सभी याचिकाओं को खारिज (Petition Dismissed) कर दिया है। कोर्ट के फैसले से अब प्रदेश के हजारों शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।
शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्राचार्य प्रमोशन (CG Principal Promotion) की सूची जारी की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने 1 मई को रोक लगा दी थी। अब अदालत ने वह स्थगन आदेश भी हटा दिया (Stay Order Removed) है, जिससे 2925 व्याख्याताओं की प्राचार्य पद पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। नए सत्र की शुरुआत से पहले यह फैसला शिक्षण व्यवस्था के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।
बीएड योग्यता और वरिष्ठता का मुद्दा उठा था
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में यह दलील दी गई थी कि बीएड को अनिवार्य मानते हुए कई वरिष्ठ शिक्षकों को दरकिनार किया गया है। साथ ही, यह भी आरोप लगाया गया था कि कोर्ट के निर्देश के बाद भी कई जगहों पर शिक्षकों को जबरन ज्वाइन करा दिया गया, जो न्यायालय की अवमानना है।
सरकार का पक्ष- नियमों के अनुसार दी गई पदोन्नति
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रमोशन (CG Principal Promotion) प्रक्रिया में सभी वर्गों के शिक्षकों के हितों का ध्यान रखा गया है। 2019 और 2025 की याचिकाओं में बीएड (B.Ed), डीएलएड (D.El.Ed) और वरिष्ठता जैसे मुद्दे शामिल थे, जिन्हें सरकार ने नियमों के अनुसार हल करने का दावा किया।
हाईकोर्ट ने राज्य शासन की नीति को बताया न्यायसंगत
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (High Court Division Bench) ने 11 जून से 16 जून तक लगातार सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया है। अदालत ने कहा कि शासन द्वारा निर्धारित प्रमोशन नीति नियम 15 (Promotion Policy Rule 15) के तहत सही है और इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने नियमों में मामूली संशोधन (Minor Revisions) का सुझाव दिया, लेकिन प्रमोशन आदेशों को वैध ठहराया।
अब जल्द जारी होंगे पोस्टिंग आदेश, 3500 स्कूलों को मिलेगा प्राचार्य
शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा (State Director of Teachers’ Joint Forum, Sanjay Sharma) ने कहा कि यह फैसला लंबे संघर्ष के बाद आया है। राज्य सरकार को अब तत्काल पोस्टिंग आदेश जारी कर देना चाहिए ताकि नए सत्र की शुरुआत में प्रदेश के 3500 से अधिक स्कूलों में स्थायी प्राचार्य पदस्थ किए जा सकें। इससे शैक्षणिक गुणवत्ता और स्कूल प्रबंधन को मजबूती मिलेगी।
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