CG Nagriya Nikay Chunav: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों के चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। नाम वापसी और चुनाव चिन्ह आवंटित होने के बाद राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। प्रदेश के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर समेत दस नगर निगमों में चुनाव होने हैं।
इन निगमों के पिछले चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो पता चलता है कि रायपुर में कांग्रेस मजबूत स्थिति में रही है, जबकि दुर्ग और राजनांदगांव में भाजपा का दबदबा रहा है।
अन्य निगमों में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बराबरी का रहा है। वहीं, रायगढ़ और चिरमिरी में निर्दलीय उम्मीदवार भी महापौर की कुर्सी पर काबिज हो चुके हैं।
क्या है इतिहास?
नगर निगम चुनावों के लिए 11 फरवरी को मतदान होना है। पिछली बार जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब कई निगमों में लंबे समय बाद कांग्रेस के महापौर चुने गए थे। दुर्ग नगर निगम में लगभग 20 साल बाद कांग्रेसी मेयर ने शहर की कमान संभाली।
इसी तरह, रायगढ़ में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई और चिरमिरी में 10 साल बाद कांग्रेस का महापौर चुना गया। राजनांदगांव, जगदलपुर और बिलासपुर में भी कांग्रेसी मेयर ने जीत दर्ज की थी।
धमतरी का इतिहास
धमतरी लगभग 133 साल तक नगर पालिका रही। 2014-15 में इसे नगर निगम का दर्जा मिला। निगम के पहले चुनाव में भाजपा की अर्चना चौबे पहली महापौर बनीं, जबकि 2019 के चुनाव में कांग्रेस के विजय देवांगन महापौर चुने गए।
दुर्ग में मेयर का इतिहास
दुर्ग नगर पालिका 1918 में अस्तित्व में आई और 1981 में इसे नगर निगम का दर्जा मिला। निगम बनने के बाद लगभग 10 साल तक महापौर का कार्यकाल केवल एक साल का रहा।
हर साल महापौर बदल जाते थे। एक बार तो महापौर का कार्यकाल केवल छह महीने का रहा। उस समय महापौर का चुनाव जनता नहीं, बल्कि पार्षद करते थे।
ट्रांसजेंडर मेयर का उदाहरण
मधु बाई किन्नर छत्तीसगढ़ में रायगढ़ की मेयर रह चुकी हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए मधु ने रायगढ़ नगर निगम का मेयर चुनाव जीता था। वह भारत की पहली खुले तौर पर ट्रांसजेंडर मेयर थीं।
अब तक हुए निगम चुनावों में रायपुर में कांग्रेस ने तीन बार मेयर पद जीतकर भाजपा पर बढ़त बनाई है, जबकि दुर्ग में भाजपा का प्रभुत्व रहा है।
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रायपुर से बीजेपी की प्रत्याशी मीनल चौबे के पास 500 ग्राम सोना है, जिसकी कीमत लगभग 40 लाख है, जबकि दीप्ति दुबे के पास 120 ग्राम सोना है, जिसकी कीमत करीब 3 लाख 27 हजार 600 है।