हाइलाइट्स
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नई शिक्षा नीति में किया गया है प्रावधान
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5वीं तक बच्चे पढ़ेंगे स्थानीय बोली-भाषा
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सरकार के फैसले पर खड़े हो रहे सवाल
CG New education policy Implemented: छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई होगी। कक्षा पांचवीं तक के बच्चे छत्तीसगढ़ी यानी स्थानीय भाषा-बोली में पढ़ाई कर सकेंगे। इसको लेकर पिछले दिनों आयोजित कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है।
इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़वासियों में उत्साह है, लेकिन इसे इंप्लीमेंट करना बड़ी चुनौती है। वहीं इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ में सियासत गरमाई हुई है।
साय कैबिनेट ने शिक्षा को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। छत्तीसगढ़ सरकार का ये बड़ा फैसला 5वीं क्लास (CG New education policy Implemented) तक लागू होगा। जिसे लेकर स्थानीय भाषा-बोली के जानकारों में खुशी की लहर है, लेकिन इसे लागू करना इतना आसान नहीं होगा। प्रदेश में स्थानीय बोली-भाषा की पढ़ाई कराने के लिए कई चुनौतियां होंगी।
नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा-बोली का प्रावधान
नई शिक्षा नीति (CG New education policy Implemented) 2020 में यह प्रावधान किया गया है कि कक्षा 5वीं तक के बच्चों को क्षेत्रीय बोली, स्थानीय भाषा में पढ़ाया जा सकता है। इसी प्रावधान के तहत साय सरकार ने छत्तीसगढ़ में स्थानीय भाषा-बोली में पढ़ाई शुरू कराने का फैसला लिया है।
इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में पढ़ाई कैसे शुरू होगी, किस तरह का कोर्स बच्चों के लिए तैयार किया जाएगा इसको लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि इस फैसले पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इसमें स्थानीय भाषा-बोली में कैसे होगी पढ़ाई ?स्थानीय भाषा का पाठ्यक्रम क्या होगा ? इस तरह के कई सवाल हैं, जिनके जवाब सरकार तैयार कर रही है।
स्थानीय बोलियां होगी जीवित
साय कैबिनेट (CG New education policy Implemented) के फैसले पर बयानबाज़ी चाहे जो हो, लेकिन इस ऐतिहासिक कदम से विलुप्त होती स्थानीय बोलियों को जीवित रखा जाएगा। साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय भाषा के जानकारों को रोजगार मिलेगा।
सरकार जल्द ही इनकी भर्ती प्रक्रिया शुरु करने की बात कह रही है। हालांकि कैबिनेट फैसले के बाद अब सवाल भी उठने लगे हैं कि आखिर बोली भाषा की जानकारी नहीं है तो पढ़ाई कैसे होगी?
तैयार किया जा रहा सिलेबस
छत्तीसगढ़ी भाषा-बोली में पांचवीं कक्षा (CG New education policy Implemented) तक पढ़ाई शुरू कराने के लिए सरकार तैयारी कर रही है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने इसके सिलेबस की तैयारी शुरू कर दी है।
इनकी ली जाएगी मदद
छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई (CG New education policy Implemented) कराने के लिए सबसे पहले कोर्स की जरूरत होगी। इसके लिए सरकार साहित्यकारों, लोक कथाकारों, लोक गीतकारों, शिल्पकारों, लोक संगीतकारों, लोक नर्तकों, कथा, कहानी, गीत, नाटकों के प्रस्तुतकर्ताओं और संकलनकर्ता से मदद ले सकती है। इसके साथ ही उन वरिष्ठ नागरिकों औरशिक्षकों जिन्हें छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति में रूचि है, उनका भी सहयोग लिया जा सकता है।
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इन बोलियों में बनेगा कोर्स
बता दें कि स्थानीय बोली-भाषा में जब पढ़ाई होती तो इसमें छत्तीसगढ़ी (CG New education policy Implemented) बोलियों को शामिल किया जाएगा। इसमें प्रमुख सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुंडख बोली हैं।
इन बोलियों के कोर्स तैयार होंगे। इसको लेकर दो महीने पहले डाइट की ओर से भी सर्कुलर जारी किया गया था। इसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का संदर्भ दिया था।
इसमें कहा था कि बहु भाषावाद और भाषा की शक्ति के अनुसार पहली से 5वीं कक्षा तक छात्रों के लिए उनकी घर की भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा, क्षेत्रीय भाषा का माध्यम होना जरूरी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल अनुशंसाओं के अनुसार भविष्य की तैयारी के मकसद से प्रदेश में प्रथम चरण में 6 स्थानीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें डाइट के मार्गदर्शन में तैयार होंगी।