CG Naxal Surrender Policy: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों में कभी नक्सलियों के गढ़ रहे जंगलों से अब आत्मनिर्भरता की कहानी सामने आ रही है। बंदूक थामने वाले पूर्व नक्सली आज सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविरों में विभिन्न कौशल सीखकर नई जिंदगी की ओर बढ़ रहे हैं।
कभी इन नक्सलियों ने सरकार के खिलाफ हथियार (CG Naxal Surrender Policy) उठा रखे थे, जबकि अब सरकार की नीतियों से प्रेरित होकर उन्होंने हथियार डाल दिए। इसके बाद सरकार की योजनाओं का लाभ लिया। अब इन नक्सलियों को घर वापसी पर सरकार के द्वारा कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मजबूरी में बन गया था नक्सली
नक्सल संगठन के पूर्व पीएलजीए (CG Naxal Surrender Policy) सदस्य सुकराम की कहानी सैकड़ों युवाओं की कहानी को बयां करती है। वह बताते हैं, नक्सलियों ने मेरे परिवार को परेशान किया। गुस्से और मजबूरी में संगठन में शामिल हुआ, लेकिन बाद में पछतावा हुआ। अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण ले रहा हूं और अपने परिवार का ख्याल रख रहा हूं।
इन क्षेत्रों में रोजगार के लिए ट्रेनिंग
सरकार की पहल पर पूर्व नक्सलियों (CG Naxal Surrender Policy) को उनकी रुचि के अनुसार कौशल सिखाया जा रहा है, जिसमें राजमिस्त्री, खेती, पशुपालन, मछली पालन जैसे रोजगारपरक विषय शामिल हैं। प्रशिक्षण के साथ-साथ एक्सपोजर विजिट्स भी करवाई जा रही हैं, जिससे वे बाजार की मांग और कामकाज को बेहतर समझ सकें।
ये खबर भी पढ़ें: रायपुर नीलामी फर्जीवाड़ा: IDFC फर्स्ट बैंक अफसरों ने दूसरे की जमीन पर लगवा दी बोली, ठगे 5.52 लाख; 6 कर्मचारियों पर FIR
जीवन बदलने तैयार की दिनचर्या
प्रशिक्षण शिविरों में दिन की शुरुआत (CG Naxal Surrender Policy) सुबह 5 बजे योग से होती है, जिसके बाद पूरे दिन अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा साक्षर भारत कार्यक्रम, टीवी टाइम, और खेलकूद जैसी गतिविधियां भी दिनचर्या में शामिल हैं। कभी हथियारों और बम बनाने जैसे खतरनाक कामों में लिप्त रहे युवा आज खेती और पशुपालन में हाथ आजमा रहे हैं। यह बदलाव सिर्फ उनके जीवन को नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की छवि को भी बदल रहा है।
सरकार का उद्देश्य दंड देना नहीं
सरकार का स्पष्ट उद्देश्य इन युवाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ते (CG Naxal Surrender Policy) हुए जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक बनाना है, ताकि वे दोबारा हिंसा की राह पर न लौटें। बेरोजगारी और मजबूरी से उपजे विद्रोह को रोजगार और शिक्षा से समाप्त करने का यह प्रयास अब रंग ला रहा है।
ये खबर भी पढ़ें: क्रिकफेस्ट 2025 से छत्तीसगढ़ के क्रिकेटर्स की जागी उम्मीद, Gautam Gambhir ने दी छग के बच्चों को प्रेरणा