CG NAN Scam: एसीबी/EOW ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह एफआईआर इन तीनों के वाट्सएप चैट के आधार पर की गई है।
ईडी के रिपोर्ट के मुताबिक, ईओडब्ल्यू ने नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अपराध दर्ज किया है।
ईओडब्ल्यू के पास सबूत
पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान, सतीश चंद्र वर्मा सहित दोनों आईएएस अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करते हुए गंभीर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया है। ईओडब्ल्यू की एफआईआर में यह बताया गया है कि 2019-20 में हाईकोर्ट में दूषित तरीके से अग्रिम जमानत भी हासिल की गई थी, जिसके सबूत, जिसमें वाट्सएप चैट भी शामिल हैं, ईओडब्ल्यू के पास उपलब्ध हैं।
ईओडब्ल्यू ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं 7, 7क, 8, 13(2) और आईपीसी की धाराएं 182, 211, 193, 195-ए, 166 ए और 120 बी लागू की हैं।
अपने पदों का दुरुपयोग करने का आरोप
EOW में दर्ज एफआईआर के अनुसार, मामले की जांच में व्हाट्सएप चैट और संबंधित दस्तावेजों की समीक्षा की गई। इसमें यह पाया गया कि 2019 से 2020 के बीच डॉक्टर आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने छत्तीसगढ़ सरकार में लोक सेवक के पद पर रहते हुए अपने पदों का दुरुपयोग किया।
उन्होंने तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ देने का प्रयास किया, ताकि वे लोक कर्तव्य को गलत तरीके से निभा सकें।
महत्वपूर्ण दस्तावेजों और सूचनाओं में बदलाव किया
इस दौरान, उन्होंने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के उच्चाधिकारियों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण दस्तावेजों और सूचनाओं में बदलाव किया, जिससे उन्हें अपने खिलाफ दर्ज नान (अपराध क्रमांक 09/2015) मामले में उच्च न्यायालय में अपने पक्ष में जवाब पेश करने का लाभ मिल सके।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पंजीबद्ध ECIR/RPSZO/01/2019 में भी उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ प्राप्त हुआ। इसके अलावा, उन्होंने गवाहों पर अपने बयान बदलने का दबाव भी डाला। इस प्रक्रिया में, उच्चाधिकारियों से मिलकर अपराध क्रमांक 09/2015 से संबंधित दस्तावेज और व्हाट्सएप चैट के जरिए अभियोजन साक्ष्य को प्रभावित किया गया।
क्या है यह घोटाला?
बीजेपी का आरोप है कि भूपेश बघेल के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ, जिसमें 13,301 राशन दुकानों में अनियमितताएं सामने आईं। विशेषकर चावल में 600 करोड़ रुपये का घोटाला होने का दावा किया गया है, और कुल घोटाला एक हजार करोड़ रुपये से अधिक होने की आशंका जताई गई है। आरोप यह भी है कि स्टॉक वैरिफिकेशन न करने के बदले में प्रत्येक राशन दुकान से 10-10 लाख रुपये वसूले गए थे।
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