जगदलपुर/रजत वाजपेयी। CG Maoist News देश में नक्सलवाद बढ़ाने की नीयत से बस्तर के युवाओं को आगे किया जा रहा है। एमपी में भी लोकल गुरिल्ला स्क्वाड बस्तर से भिजवाया गया है। कुल मिलाकर बस्तर के युवाओं को नक्सल संगठन से जोड़ने और इनसे पूरे देश में नक्सलवाद फैलाने की कवायद इन दिनों नक्सली कर रहे हैं। एमपी के बालाघाट इलाके में हुई मुठभेड़ के बाद इस बात से जुड़े तथ्य सामने आए।
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रिहेबिलिटेशन पॉलिसी का लाभ लेने की अपील
पुलिस अधिकारी भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं और युवाओं से अपील कर रहे हैं कि वे रिहेबिलिटेशन पॉलिसी का लाभ लेकर समाज की मुख्य धारा में वापस लौट आएं, अन्यथा अंजाम बुरा हो सकता है। दरअसल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस लगातार नक्सलियों पर दबाव बनाए हुए है। यही वजह है कि नक्सली नया एमएमसी जोन बनाकर मध्यप्रदेश में नया कॉरीडोर तैयार करने की जुगत लगा रहे हैं। इससे नए इलाकों में विस्तार होगा और 2 राज्यों में दबाव झेल रहे लाल लड़ाकों को यहां शिफ्ट कर संगठन विस्तार करने से नए क्षेत्र में विस्तार हो पाएगा।
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नए जोन को एमएमसी नाम दिया
दरअसल नक्सलियों ने अपना एक नया जोन बनाया है, जिसे एमएमसी (मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़) जोन नाम दिया गया है। जोन के अंतर्गत आने वाले छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ जिलों में नक्सलियों की अच्छी-खासी पैठ है। ऐसे में नक्सली अब मध्यप्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हुए हैं। एमएमसी जोन में फिलहाल नक्सली छत्तीसगढ़ में सबसे मजबूत स्थिति में हैं। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में लाल आतंकियों का कोई खास आधार तैयार नहीं हो सका है।
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बालाघाट में मारे गए 6 नक्सली बस्तर के
बीते डेढ़ सालों में एमपी के बालाघाट इलाके में हुई 4 मुठभेड़ों में 8 नक्सली मारे गए, जिनमें से 6 बस्तर के रहने वाले थे। 22 अप्रैल की तड़के 3 बजे एमपी की हॉक फोर्स ने बालाघाट जिले के गढ़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत कदला के जंगल में मुठभेड़ के दौरान 2 महिला नक्सलियों को ढेर कर दिया था। इनके पास से हथियार भी रिकवर किए गए थे। सुनीता और सरिता के मारे जाने के साथ ही इस बात का खुलासा हुआ था कि वे एमपी में संगठन विस्तार का काम कर रही थीं। दोनों बस्तर की रहने वाली थीं।
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बस्तर के स्थानीय युवाओं की भर्ती
खास बात यह है कि शिफ्टिंग के बाद बस्तर में खाली हो रहे एलजीएस (लोकल गुरिल्ला स्क्वाड) कमांडरों के पदों पर भी बस्तर के स्थानीय युवाओं की भर्ती की जा रही है। दक्षिण बस्तर के एलजीएस को ही एमपी भेजने के लिए चुना जा रहा है। इस बार टीसीओसी में जिन नए लड़ाकों की भर्तियां की गई थीं, उन्हें दक्षिण बस्तर के एलजीएस में स्थान दिया जा रहा है।
विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि एमपी में कॉरीडोर बनाने की जिम्मेदारी दक्षिण बस्तर की लीडरशिप को सौंपी गई है। एक एलजीएस में 10 से 12 लड़ाके होते हैं। छोटी-छोटी घटनाएं कर दहशत फैलाने में इन्हें माहिर माना जाता है।
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