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CG में मांझी जनजाति की अनोखी परंपरा: कीचड़ की होली खेल करते हैं बारातियों का स्‍वागत, पशु की आवाज निकालते हैं वर-वधु

Chhattisgarh Surguja Mainpat Manjhi Tribe Wedding Traditions Rituals छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित मैनपाट, जिसे "छत्तीसगढ़ का शिमला" कहा जाता है, यहां की मांझी जनजाति की शादी की परंपरा देशभर में मशहूर है।

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Sanjeet Kumar
CG Manjhi Adivasi Rituals

CG Manjhi Adivasi Rituals

रिपोर्ट: दीपक कश्यप, अंबिकापुर

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित मैनपाट, जिसे "छत्तीसगढ़ का शिमला" कहा जाता है, यहां की मांझी जनजाति की शादी की परंपरा देशभर में मशहूर है। इस जनजाति में शादी के अवसर पर कीचड़ की होली खेली जाती है, जो एक लंबे समय से चली आ रही अनोखी परंपरा है। यहां बारातियों का स्वागत सजधज से नहीं, बल्कि कीचड़ में लेटकर किया जाता है।

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मांझी जनजाति के लोग शादी के मौके पर बारातियों का स्वागत करने के लिए कीचड़ में लेट जाते हैं और एक-दूसरे पर कीचड़ डालते हैं। यह परंपरा सरगुजा के मैनपाट क्षेत्र में निभाई जाती है। लड़की के भाई बारात का स्वागत करने के बाद कीचड़ में नहाकर नाचते-गाते घर पहुंचते हैं। इसके बाद दूल्हे को हल्दी और तेल लगाकर विवाह के मंडप में आमंत्रित किया जाता है।

गोत्र के सम्‍मान के लिए निकालते हैं पशु-पक्षियों की आवाज

[caption id="attachment_775832" align="alignnone" width="621"]Manjhi Adivasi Rituals नृत्‍य करते हुए मांझी आदिवासी समुदाय[/caption]

मांझी जनजाति के लोग अपने गोत्र का नाम पशु-पक्षियों के नाम पर रखते हैं, जैसे भैंस, मछली, नाग आदि। शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन से जानवरों की आवाज निकलवाई जाती है। यह परंपरा उनके गोत्र के प्रति सम्मान दर्शाती है। जिस गोत्र से लड़की आती है, उसी गोत्र के अनुसार बारातियों का स्वागत किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि लड़की का गोत्र नाग है, तो बारातियों का स्वागत नाग की तरह किया जाएगा।

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इस तरीके से बारातियों के स्‍वागत की करते हैं तैयारी

[caption id="attachment_775833" align="alignnone" width="619"]Manjhi Adivasi Rituals मैनपाट में मांझी जनजाति कीचड़ में लेटकर करते हैं बारातियों का स्‍वागत[/caption]

शादी की तैयारी काफी पहले से शुरू हो जाती है। लड़की वाले बारात के स्वागत के लिए एक ट्राली मिट्टी मंगाते हैं और उसे बारात के रास्ते में पलटकर कीचड़ में तब्दील करते हैं। लड़की के परिवार के सदस्य, विशेषकर भाई, भैंस के समान पूंछ बनाकर कीचड़ से लथपथ हो जाते हैं और बारातियों के सामने नाचते-गाते हैं।

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महाभारत काल से जुड़ी है यह मान्यता

[caption id="attachment_775834" align="alignnone" width="624"]Manjhi Adivasi Rituals सरगुजा जिले के मांझी आदिवासी कीचड़ में लोटकर करते हैं बारातियों का स्‍वागत[/caption]

इस परंपरा की शुरुआत महाभारत काल से मानी जाती है। मान्यता है कि इस तरह कीचड़ में नाचते-गाते हुए बारात का स्वागत करने से नवविवाहित जोड़े का जीवन सुखमय होता है। यह परंपरा न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि समुदाय के बीच एकता और सद्भावना को भी बढ़ावा देती है।

खास है मांझी जनजाति की संस्कृति

मांझी जनजाति के लोग अपने तीज-त्योहार और उत्सवों में भी जानवरों और पक्षियों का प्रतिरूप बनाते हैं। यह उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। शादी के अवसर पर यह परंपरा उनके गोत्र के प्रति सम्मान और पहचान को दर्शाती है।

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