CG Liquor Scam Case Kawasi Lakhma: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के बहुचर्चित शराब घोटाले (CG Liquor Scam Case) में हाईकोर्ट ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा (Kawasi Lakhma) की जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह मामला राज्य की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर पेश करता है। जस्टिस अरविंद वर्मा की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और वर्तमान परिस्थिति में जमानत नहीं दी जा सकती।
21 जनवरी से जेल में बंद हैं लखमा
पूर्व मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ED – Enforcement Directorate) ने 15 जनवरी 2024 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 21 जनवरी से वे जेल में बंद हैं। लखमा पर आरोप है कि वे इस शराब घोटाला सिंडिकेट (Liquor Syndicate Network) का हिस्सा थे, जिसमें हर महीने करोड़ों रुपये की वसूली की जाती थी।
EOW की जांच में खुलासा
EOW (Economic Offence Wing) की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जांच में सामने आया है कि लखमा के बंगले में हर महीने ₹2 करोड़ की रिश्वत (Monthly Bribe) पहुंचती थी। अधिकारियों और कारोबारियों से बयान लेकर यह तथ्य साबित किए गए हैं। लखमा के 27 करीबियों के बयान जांच का हिस्सा बने हैं, जिनमें घोटाले में उनकी भूमिका और मिलीभगत स्पष्ट होती है।
राजनीतिक षड्यंत्र का दावा, लेकिन कोर्ट नहीं हुआ सहमत
लखमा की ओर से उनके वकील हर्षवर्धन ने तर्क दिया कि उन्हें राजनीतिक षड्यंत्र (Political Vendetta) के तहत फंसाया गया है और केवल बयानों के आधार पर आरोपी बनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तारी से पहले कभी भी उनका पक्ष नहीं सुना गया। लेकिन कोर्ट ने यह दलील मानने से इंकार करते हुए, यह कहा कि “मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।”
3200 करोड़ की हेराफेरी का खुलासा
इस मामले (CG Liquor Scam Case) में अब तक ईडी द्वारा चार चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, जिसमें यह उजागर हुआ है कि वर्ष 2017 में CSMCL (Chhattisgarh State Marketing Corporation Limited) के माध्यम से शराब बिक्री का नया सिस्टम लागू किया गया था, जिसे 2019 से भ्रष्टाचार के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।
अनवर ढेबर और अन्य रसूखदारों की मिलीभगत से बना सिंडिकेट
ED की जांच के अनुसार इस घोटाले का मास्टरमाइंड अनवर ढेबर है, जो रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर का भाई है। उसने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का प्रबंध निदेशक बनवाकर एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट (Organized Criminal Syndicate) खड़ा किया, जिसमें अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया, और कई डिस्टिलर कंपनियों ने भागीदारी की।
कवासी लखमा को घोटाले से हुआ 64 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ
जांच में यह भी सामने आया कि कवासी लखमा को इस पूरे सिंडिकेट से ₹64 करोड़ का अनुचित आर्थिक लाभ (Unjust Enrichment) हुआ, जिसे उन्होंने व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों में खर्च किया।
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अब तक 13 गिरफ्तारियां
शराब घोटाले में अब तक 13 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कुल 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है। 30 जून को दाखिल अंतिम पूरक अभियोग पत्र से पहले 13 मार्च को 3841 पन्नों की ED की चार्जशीट (ED Chargesheet in Liquor Scam) ने बड़ा खुलासा किया था।
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