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गरीबों के हक पर डाका: बड़ा खुलासा! विधेयक पास कर आरक्षित जमीन को 15 से घटाकर किया 9 फीसदी, फिर बिल्डरों से सौदेबाजी

CG Housing Scam: छत्तीसगढ़ में गरीबों के आवास योजनाओं को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। कालोनाईजर एक्ट में संशोधन कर गरीबों के लिए आरक्षित जमीन को कम कर दिया गया है..

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Shashank Kumar
CG Housing Scam

CG Housing Scam: छत्तीसगढ़ में गरीबों के आवास योजनाओं को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। कालोनाईजर एक्ट में संशोधन कर गरीबों के लिए आरक्षित जमीन को कम कर दिया गया है, जिससे बिल्डरों को एक साल में 1000 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है। इस मामले में एक महिला सचिव ने संशोधन का विरोध किया था, लेकिन उन्हें हटा दिया गया।  

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छह महीने तक लटकाया गया आदेश

कालोनाईजर एक्ट में संशोधन का विधेयक बजट सत्र 2023 में पेश किया गया और 13 मार्च 2023 को विधानसभा में पारित कर दिया गया। हालांकि, इसके बाद छह महीने तक आदेश को लटकाए रखा गया।

आखिरकार, 13 सितंबर 2023 को, विधानसभा चुनाव से ठीक 15 दिन पहले, इसे राजपत्र में प्रकाशित किया गया। सवाल उठता है कि जिस संशोधन के लिए बिल्डर सालों से प्रयासरत थे, उसे चुनाव से ठीक पहले क्यों लागू किया गया?  

गरीबों के लिए आरक्षित जमीन 15% से घटाकर 9% की गई  

नए नियम के तहत, कालोनाईजरों को गरीबों के लिए आरक्षित जमीन 15% से घटाकर 9% कर दी गई है। इससे पहले, 15% जमीन नगरपालिकाओं और नगर निगमों को दी जाती थी, जिस पर गरीबों के लिए आवास बनाए जाते थे।

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अब यह जमीन कालोनाईजरों के पास ही रहेगी, और वे इसे अपने हिसाब से बेच सकेंगे। इससे नगरपालिकाओं और नगर निगमों को कोई लाभ नहीं होगा।  

एक साल में बिल्डरों को 1000 करोड़ का फायदा 

नए नियम के कारण, पिछले एक साल में बिल्डरों को 1000 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है। रेरा के अनुसार, 13 सितंबर 2023 के बाद छत्तीसगढ़ में 217 नए प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं, जिनके लिए 54.65 लाख वर्ग मीटर जमीन निर्धारित की गई है।

पहले के नियम के तहत, इस जमीन का 15% हिस्सा गरीबों के लिए आवास बनाने के लिए दिया जाता था, लेकिन अब यह घटकर 9% हो गया है।  

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छत्तीसगढ़ का यूएसपी खत्म, गरीबों को बड़ा झटका  

छत्तीसगढ़ को देश में गरीबों के लिए शहरों के भीतर सस्ते आवास बनाने के लिए एक मिसाल के तौर पर देखा जाता था। यहां के नियम अन्य राज्यों से अलग थे, जहां गरीबों को शहरों के भीतर ही आवास मिलता था।

लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म हो गई है। नए नियम के तहत, गरीबों को शहरों के बाहर आवास मिलने की संभावना है, जो उनके लिए बड़ी मुश्किल पैदा करेगा।  

23 साल से चल रहा था बिल्डरों का दबाव  

बिल्डर पिछले 23 साल से कालोनाईजर एक्ट में बदलाव के लिए दबाव बना रहे थे। पहले अजीत जोगी सरकार और फिर रमन सिंह सरकार में भी उन्होंने इसके लिए प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली।

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आखिरकार, वर्तमान सरकार ने चुनाव से ठीक पहले इस नियम में बदलाव कर दिया, जिससे बिल्डरों को भारी फायदा हुआ।  

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नगरपालिकाओं और नगर निगमों को शून्य लाभ

नए नियम के तहत, गरीबों के लिए आरक्षित जमीन अब नगरपालिकाओं और नगर निगमों को नहीं दी जाएगी। इससे पहले, यह जमीन नगरपालिकाओं के लैंड बैंक का हिस्सा होती थी, जिस पर गरीबों के लिए आवास बनाए जाते थे। अब यह जमीन कालोनाईजरों के पास ही रहेगी, और वे इसे अपने हिसाब से बेच सकेंगे।  

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