Advertisment

CG High Court Decision: शादी का झांसा देकर सेक्‍स करना अपराध नहीं, हाईकोर्ट ने निचली अदालत का बदला फैसला; ये रही वजह!

CG High Court Decision: हाईकोर्ट जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का आदेश कानून में गलत है और IPC की धारा 497 के तहत आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

author-image
Sanjeet Kumar
CG High Court Decision

CG High Court Decision

CG High Court Decision: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में एक सत्र न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक व्‍यक्ति को  IPC की धारा 497 (व्यभिचार) के तहत दोषी करार दिया गया था। आरोपी पर एक अविवाहित महिला के साथ शादी का झांसा देकर कई बार सेक्‍स करने का आरोप था।

Advertisment

इस मामले की एक याचिका में हाईकोर्ट जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच (CG High Court Decision) ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का आदेश कानून में गलत है और IPC की धारा 497 के तहत आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस आधार पर आरोपी- अपीलकर्ता को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।

शादी का झांसा देकर किया था सेक्‍स, गर्भपात कराया

पीड़िता ने 2015 में एक शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप (CG High Court Decision) लगाया था कि आरोपी ने छह साल पहले गुप्त रूप से शादी का वादा किया था और बार-बार यौन संबंध बनाए। इस दौरान वह कई बार गर्भवती हुई और हर बार आरोपी ने जबरन उसका गर्भपात करा दिया। बाद में पीड़िता को पता चला कि आरोपी ने किसी दूसरी महिला से शादी कर ली है।

sexual relations

ट्रायल कोर्ट ने ठहराया था आरोपी को दोषी

मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय, धमतरी (CG High Court Decision) में हुई थी। पहले IPC की धारा 376 (बलात्कार) के तहत आरोप तय किए गए, लेकिन साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने धारा 497 के तहत दोषी ठहराया। आरोपी ने इसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

Advertisment

हाईकोर्ट ने निचली अदालत का बदला फैसला

अदालत ने कहा कि IPC की धारा 497 के तहत व्यभिचार (CG High Court Decision) तब माना जाता है जब कोई पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसकी सहमति या पति की जानकारी के बिना यौन संबंध बनाता है। लेकिन इस केस में पीड़िता अविवाहित थी, और उसके पति की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई थी।

CG High Court sexual relations

कोर्ट ने इस फैसले का दिया हवाला

जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ (2018) के फैसले का हवाला (CG High Court Decision) देते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही IPC की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर चुका है। यह धारा संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 15 (भेदभाव निषेध), और 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करती है।

ये खबर भी पढ़ें: बिलासपुर के GGU विश्वविद्यालय में नमाज़ पढ़े जाने को लेकर विवाद: जांच के बाद तय होगी कार्रवाई की दिशा, जानें पूरा मामला

Advertisment

व्‍यभिचार और बलात्‍कार में अंतर

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि व्यभिचार और बलात्कार (CG High Court Decision) के अपराध में अंतर है। व्यभिचार एक विवाहित महिला के साथ सहमति से यौन संबंध का मामला है, जबकि बलात्कार में महिला की मर्जी के खिलाफ या बिना सहमति के संबंध बनाए जाते हैं।

हाईकोर्ट ने आरोपी को किया दोषमुक्त

इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट (CG High Court Decision) ने ट्रायल कोर्ट का निर्णय रद्द कर दिया और आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि धारा 497 अब अस्तित्व में नहीं है, इसलिए इसके आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह फैसला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्पष्ट करता है कि कानूनों की व्याख्या करते समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन अनिवार्य है।

ये खबर भी पढ़ें: VIRAL VIDEO: ये पार्किंग को देखकर ऐसा लगा जैसे Auto Expo में आ गया हूं , लेकिन ये तो Parking है Auto Expo नही…

Advertisment
marriage fraud CG High Court Decision Justice Arvind Kumar Verma
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें