रायपुर। CG Government Employees Strike: छत्तीसगढ़ प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों ने 7 जुलाई से दफ्तर बंद करने का निर्णय लिया है। उन्होंने संयुक्त मोर्चा के निर्णय के संबंध में यह जानकारी दी। कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो वे अगस्त क्रांति के स्वरूप 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
कहा- सरकार ने इन मुद्दों पर निर्णय नहीं लिया है
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि सातवें वेतन पर गृहभाड़ा भत्ता (HRA), केंद्र के समान कर्मचारियों व पेंशनरों को देए तिथि से महंगाई भत्ता (DA), पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, जन घोषणा पत्र अनुसार चार स्तरीय वेतनमान पर सरकार ने निर्णय नहीं लिया है।
साथ ही अनियमित, दैनिक वेतन भोगी, अन्य कर्मचारियों का नियमितीकरण, राज्य में लागू किए गए पुरानी पेंशन योजना (OPS) में पेंशन पात्रता, निर्धारण के लिए शिक्षक (एल बी), अन्य संवर्गों की अहर्तादायी सेवा की गणना प्रथम नियुक्ति तिथि से किए जाने जैसे मुददों पर राज्य शासन द्वारा अब तक समाधानकारक निर्णय नहीं लिए लिया गया है।
1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे
इन सब मुद्दों पर ध्यान न दिए जाने के विरुद्ध 7 जुलाई को प्रदेश के सरकारी दफ्तर बंद करने का निर्णय लिया है। संयुक्त मोर्चा के निर्णय के संबंध में कमल वर्मा ने जानकारी दी है कि यदि सरकार ने अपना टालमटोल, दमनकारी नीति जारी रखा तो अगस्त क्रांति के स्वरूप राज्य के कर्मचारी-अधिकारी 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
छत्तीसगढ़ शासन को रिपोर्ट सौंपना भी मुनासिब नहीं समझा
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर पिंगुआ कमेटी का गठन 17 सितंबर 2021 को प्रदेश के कर्मचारियों, अधिकारियों के लंबित 14 सूत्रीय मांगों जैसे वेतन विसंगति, प्रदेश के कर्मचारियों व पेंशनरों को देय तिथी से महंगाई भत्ता, सभी विभागों में लंबित संवर्गीय पदोन्नति, समयमान व तृतीय समयमान का लाभ से संबंधित विषयों के लिए हुआ था।
लेकिन कमेटी ने कर्मचारी एवं उसके परिवार के हित में छत्तीसगढ़ शासन को रिपोर्ट सौंपना भी मुनासिब नहीं समझा! उलटा छत्तीसगढ़ शासन के टालमटोल नीति के तहत 25 मई 2022 को वेतन विसंगति का परीक्षण कर वेतनमान में संशोधन करने सामान्य प्रशासन विभाग (नियम शाखा) के अध्यक्षता में एक और समिति का गठन कर दिया।
कोई समाधान नहीं निकला!
छत्तीसगढ़ शासन ने कर्मचारियों, अधिकारियों के प्रथम दृष्टया वास्तविक सेवालाभ को देने के मुद्दे को भी कमेटी अथवा समिति के हवाले किया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला! कर्मचारियों को सिर्फ आश्वासन मिलता रहा है अथवा दमनकारी कार्यवाही का सामना करना पड़ा है।
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