Gariaband Samadhan Shivir: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद (Gariaband) जिले के देवभोग (Devbhog) विकासखंड में मंगलवार को निष्ठीगुड़ा (Nishthiguda) में आयोजित अंतिम समाधान शिविर (Samadhan Shivir) में एक किसान की पीड़ा भावुक क्षण में बदल गई।
लाटापारा (Latapara) के किसान अशोक कुमार कश्यप (Ashok Kumar Kashyap) अपनी जमीन के बंटवारे की मांग को लेकर मंच पर चढ़ गए और एसडीएम तुलसी दास (SDM Tulsi Das) के सामने साष्टांग हो गए। वे बस एक ही बात कह रहे थे, “साहब बंटवारा करा दो।”
सालभर से दौड़ रहा किसान, अभी तक नहीं मिला हल
अशोक कश्यप ने बताया कि उनके नाम 4.28 एकड़ जमीन है, लेकिन उस पर कब्जा उनके बड़े भाई का है। वे पिछले साल से बंटवारे की मांग करते आ रहे हैं। सुशासन तिहार (Sushasan Tihar) अभियान के दौरान कई बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
एसडीएम तुलसी दास ने बताया कि एक बार अशोक को जमीन का कब्जा दिलाया गया था, लेकिन बाद में दूसरा पक्ष फिर से काबिज हो गया। अब प्रशासन स्थल निरीक्षण (Site Inspection) कर स्थायी समाधान की तैयारी में है।
देवभोग में लंबित हैं सैकड़ों राजस्व मामले
देवभोग के तीनों राजस्व न्यायालयों में कुल 394 राजस्व मामले (Revenue Cases) लंबित हैं। इनमें नायब तहसीलदार (Naib Tehsildar) के समक्ष 129, तहसीलदार न्यायालय (Tehsildar Court) में 185 और एसडीएम न्यायालय (SDM Court) में 80 मामले अभी भी पेंडिंग हैं।
इनमें सबसे अधिक सीमांकन (Land Demarcation) के 104, क्षतिपूर्ति के 72 और खाता विभाजन के 31 मामले शामिल हैं।
पुरानी बंदोबस्त त्रुटियों से उपजा विवाद
तहसीलदार चितेश देवांगन (Tehsildar Chitesh Dewangan) के अनुसार, अशोक के नाम रिकॉर्ड में केवल 2 एकड़ जमीन है। वे पुराने दस्तावेजों के आधार पर 4 एकड़ का दावा कर रहे हैं।
1991 में हुए अंतिम बंदोबस्त (Land Settlement) में कई त्रुटियां रह गई थीं, जिसके चलते जमीन विवाद बार-बार सामने आ रहे हैं। हर साल बोनी (Sowing Season) के समय 20 से अधिक जमीन विवाद तहसील और थाने तक पहुंचते हैं।
पटवारी और अधिकारियों की भारी कमी
देवभोग में 93 राजस्व ग्राम (Revenue Villages) हैं, लेकिन केवल एक तहसीलदार (Tehsildar) और एक एसडीएम (SDM) पदस्थ हैं।
नायब तहसीलदार (Naib Tehsildar) का पद खाली है।
यहां तीन आरआई सर्कल (RI Circles) हैं, पर एक ही राजस्व निरीक्षक (Revenue Inspector) कार्यरत है। 27 हल्कों (Halka) में महज 14 पटवारी (Patwari) कार्यरत हैं, जो स्पष्ट रूप से अपर्याप्त हैं। पटवारी की कमी ही राजस्व मामलों के निस्तारण में सबसे बड़ी बाधा बन रही है।
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में आज हो सकती है भारी बारिश: दो-तीन दिनों में दस्तक देगा मानसून, किसानों को राहत मिलने की उम्मीद