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छत्तीसगढ़ में महिला ने 5 किलो के बच्चे को दिया जन्म: अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ हैरान, इस वजन के नवजात का होना असामान्य

CG Five Kilogram Baby Birth: छत्तीसगढ़ में महिला ने 5 किलो के बच्चे को दिया जन्म, अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ हैरान, इस वजन के नवजात का होना असामान्य

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Harsh Verma
CG Five Kilogram Baby Birth

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CG Five Kilogram Baby Birth: छत्तीसगढ़ के बीजापुर के मातृ अस्पताल में एक महिला ने 5 किलो 100 ग्राम वजन के बच्चे को जन्म दिया, जिससे अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ हैरान हैं।

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यह घटना बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है क्योंकि सामान्यत: नवजात बच्चों का वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है। 5 किलो का वजन किसी नवजात का होना एक असामान्य और अभूतपूर्व घटना है।

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डिलीवरी के दौरान बच्चे और मां दोनों को हो सकता था खतरा 

यह महिला, मंगली कुजूर, बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक के अम्बिकापारा की निवासी हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, डिलीवरी के दौरान शोल्डर डिस्टोसिया की स्थिति बन सकती थी, यानी बच्चे का कंधा जन्म के समय फंस सकता था, जिससे बच्चे और मां दोनों को खतरा हो सकता था।

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हालांकि, प्रसूति और बाल्य रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की तत्परता और समर्थन से डिलीवरी सफलतापूर्वक पूरी की गई।

महिला की बच्चेदानी में 12 सेंटीमीटर की थी गांठ 

डॉक्टरों ने यह भी बताया कि मंगली कुजूर की बच्चेदानी में एक 12 सेंटीमीटर की गांठ थी, जो डिलीवरी में और भी मुश्किलें पैदा कर सकती थी। लेकिन डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन द्वारा उस गांठ को ठीक किया और मां-बच्चे दोनों की सेहत का ध्यान रखा।

इस तरह के मामले अत्यंत दुर्लभ

मातृशिशु हॉस्पिटल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आकृति शुक्ला ने बताया कि नवजात बच्चों का सामान्य वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है, और इस तरह के मामले अत्यंत दुर्लभ होते हैं।

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अपने 14 साल के मेडिकल करियर में उन्होंने इस प्रकार का केस पहले कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा, “इतना भारी बच्चा जन्म लेना असामान्य है और इस तरह के मामले बहुत कम होते हैं। लगभग 30 प्रतिशत नवजात बच्चों का वजन 2.5 किलोग्राम से भी कम होता है, जबकि लगभग 90 प्रतिशत नवजातों का वजन 3.5 किलोग्राम से कम होता है।”

बच्चे का वजन अधिक होने के कारण प्रसव में समय लगा

गौरतलब है कि मंगली कुजूर और उनका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चे का वजन अधिक होने के कारण प्रसव में समय लगा, लेकिन मां और बच्चे दोनों की सेहत में कोई समस्या नहीं आई।

यह घटना न केवल बीजापुर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के चिकित्सा क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है, क्योंकि यह एक उदाहरण बन गई है कि कैसे विशेषज्ञों की टीम ने मिलकर एक चुनौतीपूर्ण स्थिति को सफलतापूर्वक हल किया।

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