CG Employees Pension Gratuity: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस विभू दत्त गुरु की सिंगल बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि पेंशन और ग्रेच्युटी कर्मचारी की निष्ठापूर्ण सेवा का परिणाम (CG Employees Pension Gratuity) है, न कि सरकार की ओर से दिया गया कोई उपहार। इसे संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत संरक्षित संपत्ति के रूप में माना गया है और बिना कानूनी प्रक्रिया के इसे वापस नहीं लिया जा सकता।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा निवासी एक सेवानिवृत्त उप संचालक (कृषि विभाग) की पेंशन से 9.23 लाख रुपए वसूलने के आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। इस आदेश के बाद परिवारजनों में खुशी की लहर है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 45 दिनों के भीतर यह रकम वापस लौटाने के आदेश दिए हैं।
पेंशन से काट ली गई थी गबन की रकम
मामला तब शुरू हुआ जब याचिकाकर्ता को सेवाकाल (CG Employees Pension Gratuity) में गबन के आरोप में नोटिस दिया गया, लेकिन उन्होंने आरोपों को खारिज कर दिया। सेवानिवृत्ति के बाद (15 फरवरी 2021) उनकी पेंशन से रकम काट ली गई, जिसे कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया के बिना पारित आदेश बताया।
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि पेंशन और ग्रेच्युटी कर्मचारी का वैधानिक अधिकार है, जिसे मनमाने ढंग से नहीं छीना जा सकता। याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई विभागीय या न्यायिक कार्यवाही नहीं हुई थी, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया हो। 20 जून 2024 को याचिकाकर्ता की मृत्यु हो गई, इसलिए अब उनके कानूनी उत्तराधिकारियों (पत्नी और दो बेटों) को राशि वापस दी जाएगी।
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45 दिनों के अंदर देना होगी राशि
बिलासपुर हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2021 का आदेश रद्द किया गया। कोर्ट (CG Employees Pension Gratuity) ने सरकार को 45 दिनों के भीतर वसूली गई राशि वापस लौटाने का निर्देश दिया गया। हाईकोर्ट का यह आदेश अन्य पेंशन और ग्रेच्युटी की समस्याओं से जूझ रहे कर्मचारियों के लिए भी अहम है।
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