रायपुर। CG Elections 2023: कांग्रेस ने आज अपने 30 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी, इनमें पहले चरण की 20 में से 19 सीटे शामिल है।
वहीं भाजपा भी पहले चरण की 19 सहित कुल 85 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की तस्वीरें साफ कर चुकी है, राज्य की कई ऐसी सिटें हैं, जहां पिछले कुछ चुनाव से कांग्रेस और भाजपा दोनों एक ही चेहरे को मैदान में उतरती रही हैं।
इस बार दोनों ही पार्टियों ने अपनी रणनीति बदली और केवल जिताऊ प्रत्याशी को टिकट दे रही है। इसके बावजूद भी इस बार भी कुछ सीटों पर परंपरागत पॉलिटिकल राईवलरी देखने को मिलेगी है।
छत्तीसगढ़ चुनाव के रण में कांग्रेस की सूची जारी होते ही तस्वीर साफ हो चुकी है और एक बार फिर वीआईपी सीटों पर दिग्गज बनाम दिग्गज मुकाबला देखने को मिलेगा।
1.पाटन विधानसभा
इस हाई प्रोफाइल सीट पर चाचा भतीजा यानी भूपेश बघेल और विजय बघेल के बीच पुरानी राजनीतिक दुश्मनी है। वहीं दोनों चौथी बार आमने-सामने है।
2018 के चुनाव को छोड़ दे, तो राज्य बनने के बाद से अब तक जितने चुनाव हुए है, सभी में यह दोनों इस सीट से एक दूसरे को टक्कर देते नजर आए। लेकिन जीत हमेशा भूपेश बघेल की ही हुई है।
2003 में विजय एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, इस चुनाव में भूपेश बघेल की जीत हुई थी। वहीं इसके बाद 2008 में विजय भाजपा के टिकट से मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी। साथ ही 2013 में फिर से भूपेश बघेल ने जीत दर्ज की।
2.कोंडागांव विधानसभा
अगर बस्तर संभाग की इस सीट को वीआईपी सीट कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा, यहां से भाजपा प्रत्याशी लता उसेंडी कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मोहन मरकाम मौजूदा सरकार में मंत्री है, साथ ही वह पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।
2008 में कांग्रेस ने लता के खिलाफ मोहन मरकाम को उतारा था, जिसमें मोहन मरकाम हार गए थे। इसके बाद 2013 और 2018 में मोहन मरकाम की जीत हुई और लता उसेंडी की हार हुई।
3.नारायणपुर विधानसभा
इस सीट से भाजपा ने पूर्व मंत्री केदार कश्यप को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस ने मौजूदा विधायक चंदन कश्यप पर भरोसा जताया है।
दोनों तीसरी बार आमने-सामने है, दोनों के बीच मुकाबला की शुरुआत 2013 में हुई थी। जब केदार भाजपा शासन काल में मंत्री थे।
बता दें कि 2013 में चंदन कश्यप 12,000 से अधिक वोटों के अंतर से हारे थे। इसके बावजूद 2018 में कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया और उन्होने 26,00 वोटों के अंतर से केदार कश्यप को परिजित कर दिया था।
4.बीजापुर विधानसभा
इस सीट पर विक्रम मंडावी और महेश गागड़ा तीसरी बार आमने-सामने है। दोनों के बीच मुकाबला की शुरुआत 2013 में हुई थी।
राज्य सरकार में मंत्री महेश गागडा के सामने विक्रम मंडावी को कांग्रेस ने पहली बार उतारा था। विक्रम लगभग 9000 के अंतर से 2013 का चुनाव हार गए थे।
वहीं 2018 में विक्रम ने पिछला हिसाब बराबर करते हुए 21,000 वोटों के अंतर बीजेपी के महेश गागड़ा को हरा दिया था।
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