कांकेर। CG Election 2023: विधानसभा चुनाव 2023 की बिगुल बच चुका है। भाजपा ने कांकेर विधानसभा के लिए करीब डेढ़ माह पहले ही आसाराम नेताम को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है, जबकि कांग्रेस से पूर्व विधायक शंकर ध्रुवा को का नाम समाने आ रहा है।
कांकेर का ये मिथक सुर्खियों में
कांकेर विधानसभा को लेकर एक मिथक इस बार सुर्खियों में है, इस विधानसभा से विश्राम सिंह ठाकुर को छोड़कर कोई भी प्रत्याशी लगातार दूसरी बार विधायक नहीं बन पाया है।
अघन सिंह ठाकुर व श्याम ध्रुवा जरूर दो बार इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन लगातार विधायक रहने का गौरव इन्हें भी नहीं मिला है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यहां तो राजनीति पार्टी या उस विधायक का टिकट काट देती हैं या फिर चुनाव में उन्हें पराजय मिलती है। जो काँकेर जिला में एक मिथक बन गया है।
मौजूद विधायक का टिकट कटा
मौजूद विधायक शिशुपाल सॉरी के टिकट कट चुका है, कांकेर बस्तर संभाग के सबसे चर्चित विधानसभा सीट में से एक है, देश की आजादी के बाद 1952 में जब इस विधानसभा सीट का गठन हुआ।
उसे समय कांकेर में दो विधानसभा क्षेत्र हुआ करती थी, जिसमें एक सीट सामान्य वर्ग और एक सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी।
1952 में प्रथम विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग से भानु प्रताप देव और आदिवासी वर्ग से रतन सिंह ठाकुर निर्वाचित हुए।
1953 में कांग्रेस की हुई जीत
वहीं 1953 में रतन सिंह ठाकुर की मृत्यु होने के बाद इस सीट के लिए उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस पार्टी के रामप्रसाद पोटाई ने बृजलाल बरसाय को पराजित कर दिया थ।
साल 1957 में होने वाले दूसरे चुनाव में कांग्रेस पार्टी से सामान्य वर्ग से प्रतिभा कुमारी देवी निर्वाचित हुई थी ,जबकि दूसरी सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित उस सीट पर विश्राम सिंह ठाकुर निर्वाचित हुए थे।
1965 में अस्तित्व में आई भानुप्रतापपुर सीट
वहीं 1965 में काँकेर विधानसभा से पृथक होकर भानुप्रतापपुर नई विधानसभा सीट अस्तित्व में आई, जिसे आदिवासी वर्ग के लिए सुरक्षित रखा गया
इस नेता को जनता ने चुना दो बार
भानु प्रतापपुर विधानसभा सीट से राम प्रसाद पोटाई 1967, 1972 निर्वाचित हुए, साथ ही विश्राम सिंह ठाकुर अरविंद नेताम और शिव नेताम के पिता ऐसे विधायक थे जिसे लगातार दो बार जनता ने चुना था।
2000 में छत्तीसगढ़ अगल राज्य बना
जिसके बाद 1977 में हरि सिंह हरिशंकर ठाकुर 1989 में आत्माराम ध्रुवा 1985 में श्याम ध्रुवा 1990 में अघन सिंह ठाकुर 1993 में शिव नेताम विधायक बने, जबकि 1998 में श्याम ध्रुवा दूसरी बार विधायक बनी और छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भाजपा छोड़ 12 विधायक के साथ कांग्रेस में शामिल हो गई।
2003 में हुए चुनाव में अघन सिंह ठाकुर ने यहां से चुनाव जीता, इसके बाद 2008 के चुनाव में सुमित्रा मरकोले ने अरविंद नेताम की बेटी प्रीति नेताम को हारा दिया था।
2013 में सुमित्रा मारकोले की जगह संजय कोड़ोपी को मैदान में उतर गया, जबकि कांकेर से शंकर ध्रुवा प्रत्याशी रहे जिन्होंने जीत दर्ज की थी।
2018 में कटा टिकट, 2023 की रेस में शामिल
2018 के चुनाव में शंकर ध्रुवा की जगह वर्तमान विधायक शिशुपाल सॉरी को मैदान में उतारा गया, जिन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी हीरा मरकाम को हराया। अब एक बार फिर कांग्रेस शंकर ध्रुवा को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही हैं।
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