Durg District Hospital: दुर्ग जिला अस्पताल (Durg District Hospital) के रेडियोलॉजी विभाग में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ एक महिला की मानसिक स्थिति को प्रभावित किया बल्कि उसके अजन्मे बच्चे की जान भी जोखिम में डाल दी।
खुर्सीपार निवासी 30 वर्षीय एकता (Ekta) जब रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंचीं, तो उन्हें दी गई सोनोग्राफी रिपोर्ट (Sonography Report) में बताया गया कि उनका 7 सप्ताह का भ्रूण गर्भ में ही मृत हो चुका है।
एकता की मां ने बाहर जांच कराने का लिया फैसला
सरकारी अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर गर्भपात की तैयारी तक कर ली गई थी, लेकिन एकता की मां कविता चौकीकर (Kavita Chowkikar) को रिपोर्ट पर संदेह हुआ और उन्होंने निजी अस्पताल में दोबारा जांच कराई। जहां रिपोर्ट में भ्रूण पूरी तरह स्वस्थ पाया गया, उसकी हृदय गति 132 प्रति मिनट मापी गई, जबकि सरकारी रिपोर्ट में हार्टबीट शून्य बताई गई थी।
यह त्रुटि न केवल मानसिक तनाव देने वाली थी, बल्कि एक स्वस्थ भ्रूण की जान जाने का खतरा भी था। कविता चौकीकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर उन्होंने सरकारी रिपोर्ट पर भरोसा कर लिया होता, तो आज उनकी बेटी का गर्भपात हो चुका होता।
अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट ने क्या कहा?
पूरे मामले पर जब सवाल उठे तो अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ बी पी देवांगन (Dr. B. P. Dewangan) ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट अपने परीक्षण के आधार पर दी थी और वे दूसरी रिपोर्ट को देखकर भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हैं।
सीएमएचओ मनोज दानी (CMHO Manoj Dani) ने इस मामले को गंभीर लापरवाही मानते हुए दो सदस्यीय जांच टीम गठित की है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कुछ दिन पहले ही की थी अस्पताल की सराहना
वहीं यह भी सवाल उठता है कि कुछ दिन पहले ही अस्पताल का निरीक्षण कर लौटे स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल (Health Minister Shyam Bihari Jaiswal) ने अस्पताल के कामकाज की सराहना की थी। क्या मंत्री को अस्पताल की अंदरूनी खामियों की जानकारी नहीं दी जाती? या दौरे के वक्त सब चुप करा दिए जाते हैं?
इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की रिपोर्टिंग सटीकता और न्यायसंगत इलाज पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।