CG Mock Drill: छत्तीसगढ़ के दुर्ग (Durg) जिले में 7 मई को युद्ध जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल (Civil Defence Mock Drill) आयोजित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा देश के 244 जिलों में एक साथ यह अभ्यास कराने का निर्देश दिया गया है।
पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद यह अभ्यास किया जा रहा है, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी।
प्रशासन देगा नागरिकों को युद्ध के हालात में सुरक्षा की ट्रेनिंग
इस मॉक ड्रिल के दौरान दुर्ग जिला प्रशासन की ओर से आम नागरिकों, छात्रों, कर्मचारियों को यह सिखाया जाएगा कि युद्ध या हवाई हमले जैसी स्थिति में खुद को और दूसरों को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
इसके तहत एयर रेड सायरन (Air Raid Sirens) बजाए जाएंगे, ब्लैकआउट किया जाएगा और रेस्क्यू ऑपरेशन का अभ्यास किया जाएगा।
ब्लैकआउट और बंकर उपयोग की भी होगी जांच
ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट एक्सरसाइज (Blackout Exercise) की जाएगी, जिसमें एक तय समय के लिए पूरे क्षेत्र की लाइटें बंद कर दी जाएंगी ताकि यह देखा जा सके कि रात में दुश्मन के हमले से खुद को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके अलावा बंकरों की सफाई और उनकी उपयोगिता की भी जांच की जाएगी।
मुख्य उद्देश्य और गतिविधियां
इस अभ्यास का उद्देश्य यह देखना है कि आपात स्थिति में देश का सिविल डिफेंस सिस्टम कितना प्रभावी है। इस दौरान की जाएंगी ये गतिविधियां-
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एयर रेड वार्निंग सिस्टम (Air Raid Warning System) की कार्यक्षमता की जांच
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इंडियन एयर फोर्स से हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन (Hotline and Radio Communication) की कनेक्टिविटी
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कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम की एक्टिविटी
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स्कूल और कॉलेज के छात्रों को सुरक्षात्मक उपायों की ट्रेनिंग
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जरूरी ठिकानों जैसे सरकारी प्लांट्स, प्रशासनिक भवनों को छिपाने की प्रक्रिया
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फायर ब्रिगेड (Fire Brigade), वार्डन और रेस्क्यू टीम की तैनाती
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आम नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का अभ्यास
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नागरिकों की सहायता के लिए स्वयंसेवी टीमों की तैयारियाँ
1971 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर ड्रिल
भारत में इस तरह की मॉक ड्रिल आखिरी बार 1971 में हुई थी, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। उसके बाद यह पहली बार है जब इतने व्यापक स्तर पर एक साथ ड्रिल की जा रही है। यह केंद्र सरकार की तरफ से एक सतर्कता का कदम है ताकि किसी भी संभावित खतरे से पहले तैयारियाँ पूरी हों।
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