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छत्तीसगढ़ DMF घोटाला: हाईकोर्ट ने IAS रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत सभी आरोपियों की स्थायी जमानत याचिकाएं की खारिज

CG DMF Scam: छत्तीसगढ़ DMF घोटाला, हाईकोर्ट ने IAS रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत सभी आरोपियों की स्थायी जमानत याचिकाएं की खारिज

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Harsh Verma
छत्तीसगढ़ में सोलर लाइट घोटाला: हाईकोर्ट सख्त, मांगी विस्तृत रिपोर्ट, सितंबर में होगी अगली सुनवाई

CG DMF Scam: छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित DMF घोटाला (DMF Scam) मामले में आज हाईकोर्ट (High Court) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व IAS अधिकारी रानू साहू (Ranu Sahu), सौम्या चौरसिया (Saumya Chaurasia), एनजीओ संचालक मनोज कुमार (Manoj Kumar) और बिचौलिया सूर्यकांत तिवारी (Suryakant Tiwari) की स्थायी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि FIR और केस डायरी में दर्ज सबूतों के आधार पर यह प्रतीत होता है कि सभी आरोपी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) के तहत गंभीर आर्थिक अपराध में शामिल रहे हैं। इसलिए उन्हें जमानत देना उचित नहीं होगा।

[caption id="" align="alignnone" width="578"]publive-image रानू साहू, सौम्‍या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी[/caption]

क्या है DMF घोटाला?

डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (District Mineral Foundation - DMF) फंड का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए किया जाता है। लेकिन कोरबा जिले (Korba District) में इस फंड के दुरुपयोग का खुलासा हुआ है।

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ईडी (ED) और ईओडब्ल्यू (EOW) की संयुक्त जांच में सामने आया कि कोरबा के DMF फंड के टेंडरों में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, टेंडर भरने वालों से 40% तक कमीशन लिया गया, जो सीधे तौर पर कुछ अधिकारियों और दलालों के पास गया।

आरोपियों की भूमिका

  • रानू साहू पर अपने पद का दुरुपयोग कर टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता बरतने का आरोप है।

  • सौम्या चौरसिया, जो तत्कालीन मुख्यमंत्री की उप सचिव थीं, उन पर प्रभाव का उपयोग कर निजी लाभ लेने का संदेह है।

  • मनोज कुमार नामक एनजीओ संचालक की भूमिका फंड के उपयोग में गड़बड़ी से जुड़ी हुई है।

  • सूर्यकांत तिवारी को बिचौलिया बताया गया है जो कमीशन वसूली में प्रमुख भूमिका निभा रहा था।

कोर्ट का सख्त रुख

हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्य दर्शाते हैं कि ये सभी आरोपी आर्थिक अपराध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जमानत का आधार नहीं बनता, इसलिए सभी आवेदनों को खारिज किया जाता है।

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