Kawasi Lakhma Political Journey: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित संभाग बस्तर में कम पढ़े लिखे होने के बाद भी राजनीति में अपना खास प्रभाव रखते हैं। पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक कवासी लखमा (Kawasi Lakhma Political Journey) बस्तर के अजय योद्धा हैं। जो कि लगातार चुनाव जीतते आए हैं। कवासी ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत ग्राम पंचायत में पंच बनकर की थी और वे कांग्रेस सरकार में मंत्री भी बने।
पूर्व मंत्री कवासी लखमा को छत्तीसगढ़ के सबसे चर्चित शराब घोटाला (CG Liquor Scam) मामले में अरेस्ट (Kawasi Lakhma Arrested) कर लिया है। इससे उनके समर्थकों में भी आक्रोश है। पंच से विधानसभा में पहुंचे कवासी को कभी चुनाव में हार नहीं मिली।
2023 विधानसभा चुनाव उन्होंने छठवीं बार जीत हासिल कर एक रिकॉर्ड कायम किया है। पिछली कांग्रेस सरकार (Kawasi Lakhma Political Journey) में वे आबकारी मंत्री रहे, यहीं से उनकी पंच से मंत्री और फिर जेल तक के सफर की कहानी शुरू हुई। उनको सुकमा में बस्तर में दादी के नाम से भी जाना जाता है।
मंत्री रहते तैयार हो गई थी जेल के सफर की कुंडली
साल 2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी। भूपेश बघेल कैबिनेट में कवासी लखमा (Kawasi Lakhma Political Journey) को उस समय आबकारी और उद्योग मंत्री (Kawasi Lakhma Arrested) बनाया गया। उन्हीं के कार्यकाल और मंत्री रहते आबकारी विभाग में शराब घोटाले का सबसे बड़ा घोटाला हुआ। जिसका खुलासा बीजेपी सरकार के आने के बाद हुआ। यहीं से उनकी मंत्री रहते जेल जाने की कुंडली तैयार हो गई थी। शराब घोटाला मामले में कवासी (CG Liquor Scam) और उनके बेटे हरीश लखमा का भी नाम सामने आया। इस केस में ईडी के हाथ कई सबूत लगे हैं, जिससे उनको जेल जाना पड़ा।
कवासी के अलावा किसी को नहीं कहते हैं दादी
मालूम हो कि हम घर में बुजुर्ग महिला, पिता जी की मां, गांव में बुजुर्ग महिला को दादी कहते हैं। जबकि बस्तर ( Bastar Kawasi Lakhma Arrested) में गोंडी में दादी का अर्थ कुछ ओर ही है। यहां गोंडी भाषा में दादी उसे कहा जाता है, जिसका सबसे ज्यादा प्रेम और सम्मान किया जाता है। कवासी लखमा (Kawasi Lakhma Political Journey) को भी लोग दादी इसलिए ही कहते हैं, क्योंकि उनसे प्रेम करते हैं। लखमा ने पंच से राजनीति की शुरुआत की और बस्तर की जनता उन्हें प्रेम से दादी कहती है, इसी का नतीजा है कि वे कभी चुनाव नहीं हारे हैं। इतना ही नहीं बस्तर में वे एक ऐसा आदिवासी नेता है, जिन्हें लोग प्रेम से दादी नाम से संबोधित करते हैं। जबकि बस्तर में उनके अलावा किसी भी नेता को दादी के नाम से संबोधित नहीं किया जाता है।
5वीं पास कवासी लखमा पांच भाषाओं का ज्ञान रखते हैं
बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित जिला सुकमा के ग्राम नागारास में 1953 में कवासी लखमा (Kawasi Lakhma Political Journey) का जन्म हुआ था। वह गोंड आदिवासी समाज की माडिया जनजाति से आते हैं। उनके पिता स्व. कवासी (CG Liquor Scam) हिड़मा थे। कवासी लखमा (Kawasi Lakhma Arrested) पांचवी तक ही पढ़े हैं, लेकिन वह पांच भाषाओं का ज्ञान रखते हैं।
वे गोंडी, हिंदी, हल्बी, तेलगू, ध्रुवा-दोरला समेत अन्य स्थानीय बोलियों का ज्ञान रखते हैं। उनका विवाह कवासी बुधरी से हुआ और उनके दो बेटे और दो बेटी हैं। मूल व्यवसाय उनका कृषि है। उनका निवास ग्राम नागारास पोस्ट सोना कुकानार, तहसील और जिला सुकमा है। राजनीति की शुरुआत पंच के पद से करने वाले कवासी लखमा को दो बार सर्वश्रेष्ठ सरपंच पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।
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राजनीति में अजय रहे कवासी लखमा…
अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पंच से करने वाले कवासी लखमा (Kawasi Lakhma Political Journey) 1995-96 में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी सुकमा के अध्यक्ष रह चुके हैं। 1998 में उनको पहली बार कोंटा विधानसभा से विधायक चुना गया। इसके बाद 2003, 2008, 2013, 2018, 2023 में निरंतर विधायक रहे हैं। इसके अलावा भी वे 2001 से 2004 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा याचिका समिति, प्रत्यायुक्त विधान समिति के सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा भी वे कई अलग-अलग पदों पर रहे।
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