CG Janjgir Retired Clerk Cyber Thug Case: छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में साइबर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड क्लर्क को “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाकर 32 लाख 54 हजार रुपये की ठगी कर ली गई। यह घटना तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराधों की गंभीरता को दिखाती है।
रिटायर्ड क्लर्क के साथ ऐसे हुई साइबर ठगी
जानकारी के मुताबिक, जांजगीर निवासी तुषारकर देवांगन (Retired Clerk Devangan Tusharkar) साल 2022 में क्लर्क के पद से रिटायर हो चुके हैं। 3 जुलाई 2025 को उन्हें एक अज्ञात कॉल आया, जिसमें खुद को किसी जांच एजेंसी का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) केस में सामने आया है और उनके बैंक खाते की जांच की जा रही है। इसके साथ ही उन्हें यह धमकी दी गई कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगे, तो उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया जाएगा।
डर और भ्रम की स्थिति में आकर तुषारकर देवांगन ने बताए गए चार अलग-अलग बैंक खातों में कुल छह बार में 32 लाख 54 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ, तब तक काफी देर हो चुकी थी।
आरोपियों की पहचान में जुटी पुलिस
देवांगन ने तुरंत सिटी कोतवाली थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल आरोपियों की पहचान और पैसे की ट्रेसिंग का काम किया जा रहा है। यह मामला साफ दर्शाता है कि किस तरह साइबर अपराधी बुजुर्गों को निशाना बनाकर उनकी जीवनभर की जमा पूंजी को चुटकियों में उड़ा रहे हैं।
साइबर ठगों का नया तरीका: Digital Arrest
डिजिटल अरेस्ट, आजकल साइबर ठगों का नया हथियार बन गया है। इसमें ठग खुद को CBI, ED या साइबर क्राइम शाखा का अधिकारी बताकर किसी भी व्यक्ति को फोन करते हैं और उसे बताते हैं कि वह किसी आपराधिक मामले में फंसा है। फिर वे कहते हैं कि अगर उसने सहयोग नहीं किया तो उसे वीडियो कॉल के जरिए ही “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया जाएगा।
अक्सर ये कॉल व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए किए जाते हैं ताकि वो असली लगें। पीड़ित डर के मारे ठगों की बातों में आ जाते हैं और बताए गए बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। ये अकाउंट म्यूल अकाउंट होते हैं, यानी ऐसे फर्जी नामों से खोले गए खाते जिनका असली मालिकों से कोई लेना-देना नहीं होता।
ठगों के निशाने पर बुजुर्ग और अकेले रहने वाले लोग
इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, खासकर उन लोगों के साथ जो बुजुर्ग हैं या अकेले रहते हैं। उन्हें तकनीकी और कानूनी जानकारी कम होती है, जिस वजह से वे जल्दी डर जाते हैं। कुछ दिन पहले रायपुर में एक रिटायर्ड महिला AGM के साथ भी ऐसा ही हुआ था, जिसमें उन्हें डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 2.83 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया।
FAQs
Q1. डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?
डिजिटल अरेस्ट असल में एक फर्जी साइबर फ्रॉड तकनीक है। इसमें साइबर ठग खुद को सरकारी अधिकारी (जैसे CBI, ED, या साइबर सेल) बताकर पीड़ित को कॉल करते हैं, आमतौर पर WhatsApp वीडियो कॉल के जरिए। वे कहते हैं कि व्यक्ति का नाम किसी गंभीर अपराध, खासकर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग ट्रैफिकिंग या साइबर फ्रॉड जैसे मामलों में जुड़ गया है और अगर वह सहयोग नहीं करेगा तो उसे “डिजिटल रूप से गिरफ्तार” कर लिया जाएगा।
इस प्रक्रिया में वे पीड़ित को वीडियो कॉल पर बैठाए रखते हैं, उससे लगातार बात करते हैं ताकि वह किसी और से संपर्क न कर सके और मानसिक दबाव में आकर पैसे ट्रांसफर कर दे।
Q2. साइबर ठग पैसे कैसे ऐंठते हैं?
ठग पीड़ित को विश्वास में लेने के लिए फर्जी पहचान पत्र, सरकारी नोटिस या केस फाइल्स के नाम पर फर्जी दस्तावेज दिखाते हैं। जब व्यक्ति डर जाता है तो वे कहते हैं कि उसे निर्दोष साबित करने के लिए कुछ “जांच प्रक्रियाओं” के तहत पैसे जमा करने होंगे। ये पैसे वे उन म्यूल अकाउंट्स में ट्रांसफर करवाते हैं, जो अस्थायी रूप से बनाए जाते हैं और जिनका उपयोग पैसे को जल्दी-जल्दी दूसरे खातों में भेजने के लिए किया जाता है।
इन खातों के ज़रिए ठग पैसा निकाल लेते हैं या क्रिप्टोकरेंसी, गिफ्ट कार्ड आदि के रूप में ट्रांसफर कर देते हैं, जिससे उसे ट्रेस करना और भी मुश्किल हो जाता है।
Q3. ठगों का टारगेट कौन होता है?
हाल के मामलों में यह साफ देखा गया है कि साइबर ठगों का निशाना खासकर अकेले रहने वाले बुजुर्ग और महिलाएं हैं।
- राजधानी रायपुर में एक रिटायर्ड महिला AGM से ₹2.83 करोड़ की ठगी की गई।
- वहीं पंडरी इलाके की 58 वर्षीय महिला से ₹58 लाख की ठगी की गई थी।
इन दोनों ही मामलों में पीड़िता अकेली रहती थीं और उनके साथ कोई जागरूक सदस्य नहीं था। ठगों ने उन्हें वीडियो कॉल पर घंटों तक बैठाए रखा और मानसिक दबाव डालकर पैसे ट्रांसफर करवा लिए।
Q4. साइबर ठगों से खुद को कैसे रखें सुरक्षित?
- किसी भी अज्ञात कॉल से डरें नहीं, चाहे वह कितनी भी आधिकारिक लगे।
- सरकारी एजेंसियां कभी भी WhatsApp या सामान्य कॉल के माध्यम से “डिजिटल अरेस्ट” की बात नहीं करतीं।
- कोई भी व्यक्ति अगर कहे कि आप पर केस है, तो उसका प्रमाण मांगें और तुरंत कॉल काटकर पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।
- कभी भी अज्ञात बैंक खातों में पैसे न भेजें। किसी जांच में सहयोग की जरूरत हो, तो वह लिखित और विधिक तरीके से ही किया जाएगा।
- अपने परिवार, खासकर बुजुर्गों और कम तकनीकी समझ रखने वालों को इस तरह की ठगी के बारे में जागरूक करें।
Q5. अगर ठगी हो जाए तो तुरंत क्या करें?
- 1930 पर कॉल कर साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराएं।
- https://cybercrime.gov.in/ पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
- नजदीकी पुलिस थाने जाकर FIR दर्ज कराएं।
- ठगी का समय और ट्रांजैक्शन डिटेल जितनी जल्दी अधिकारियों तक पहुंचेगा, उतना ही अधिक मौका होगा कि पैसे को होल्ड किया जा सके।
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