रिपोर्ट: अनंत शर्मा, रायपुर
CG Chherchhera Festival 2025: छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं के प्रतीक छेरछेरा पुन्नी पर्व की धूम शुरू हो गई है। रायपुर में उत्साह और उमंग के साथ त्यौहार मनाया जा रहा है। आज सुबह से ही बच्चे हाथ में थैला लेकर घर-घर पहुंच रहे हैं और ‘छेरछेरा, कोठी के धान ला हेरहेरा’ गाते हुए धान या चावल ले रहे हैं। ये पारंपरिक त्यौहार छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति और आपसी सहयोग की भावना को दर्शाता है।
छेरछेरा पर्व के माध्यम से समाज (CG Chherchhera Festival 2025) में एकता और एक दूसरे को बांधे रखने, जुड़े रहने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। इसी के कारण हर साल इस पर्व को छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जाता है। और एक दूसरे की मदद की मंशा के साथ दान देने की महिमा और उसके फल की संज्ञा को भी यह पर्व दर्शाता है। प्रदेश में इसकी धूम शुरू हो गई है।
स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद उठाएंगे बच्चे
बच्चे बताते हैं कि दिनभर एकत्र किए गए धान को शाम में बेचकर वे मेला घूमने जाएंगे। इसके अलावा वे उक्त धान से नए-नए स्वादिष्ट (CG Chherchhera Festival 2025) व्यंजन बनवाकर, उनका आनंद उठाएंगे। छेरछेरा पुन्नी (CG Chherchhera Festival 2025) न केवल दान की महिमा को उजागर करता है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को एक-दूसरे से जोड़ने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस पर्व के माध्यम से ग्रामीण जीवन की समृद्धि और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का संदेश मिलता है।
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क्यों खास है छेरछेरा पुन्नी पर्व की मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन किसान अपनी फसल को घर के अंदर बने भंडार गृह में रखता है। इसी के साथ वह खेती-किसानी के कामों से निवृत होकर चिंतामुक्त हो जाता है। इसी के चलते इस त्यौहार को छत्तीसगढ़ की खुशहाली और समृद्धि के प्रतीक वाला त्यौहार माना जाता है। बच्चे इस त्यौहार को किसानों के घर जाकर मनाते हैं और छेरछेरा किसानों से मांगते हैं। भले ही अब किसान अपनी फसल धान को समर्थन मूल्य पर बेचने लगा है, लेकिन यह त्यौहार आज भी छत्तीसगढ़ में अपनी परंपराओं को समेटे हुए है।
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