Chhattisgarh HC News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में कृषि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कृषि शिक्षकों के लिए बीएड डिग्री को अनिवार्य कर दिया है और किसी भी तरह की छूट देने के प्रावधान को असंवैधानिक और अधिकारहीन करार दिया है। 74चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि भर्ती प्रक्रिया को नियमों के अनुसार ही पूरा किया जाए।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
कृषि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में शामिल कुछ आवेदकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि वे कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री के साथ-साथ बीएड या डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) उत्तीर्ण हैं और उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) भी पास की है। याचिकाकर्ताओं ने 5 मार्च 2019 की राज्य अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें कृषि शिक्षकों के लिए अनिवार्य बीएड की आवश्यकता को हटा दिया गया था।
कोर्ट का निर्णय
उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कृषि शिक्षकों की योग्यता से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य शासन द्वारा अनिवार्य योग्यता को हटाना राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के नियमों के विरुद्ध है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह की छूट शैक्षिक मानकों को कमजोर करती है और अप्रशिक्षित व्यक्तियों को पढ़ाने की अनुमति देने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
राज्य शासन का पक्ष
राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता और एनसीटीई के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि राज्य में कृषि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए नियमों में ढील देना आवश्यक था।
मुख्य कानूनी प्रश्न
कोर्ट के समक्ष मुख्य कानूनी प्रश्न यह था कि क्या कोई राज्य सरकार शिक्षक योग्यता मानक में ढील दे सकती है, जो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम, 1993 के तहत एनसीटीई द्वारा निर्धारित किए गए हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अधिनियम की धारा 12-ए और 32 के तहत, एनसीटीई विशेष रूप से शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करता है, और राज्य सरकारें इन आवश्यकताओं को एकतरफा नहीं बदल सकतीं।
यह भी पढ़ें- CG Panchayat Chunav: छत्तीसगढ़ पंचायत चुनाव का तीसरा और आखिरी चरण, 50 ब्लॉकों में मतदान, दोपहर 3 बजे तक होगी वोटिंग