भिलाई। CG Bhilai News: हिन्दू धर्म में व्यक्ति के अंतिम संस्कार करने के बाद उसकी आत्मा की मुक्ति तब तक नहीं मानी जाती जब तक कि उसकी अस्थि कलश विसर्जन न किया जाए। पर छत्तीसगढ़ की भिलाई में मुक्तिधाम में कुछ ऐसे ही अस्थि कलश रखे हैं, जो बीते 20 वर्षों से विसर्जन की राह देख रहे हैं। परिजनों की उपेक्षा के बाद अब इनके विसर्जन का जिम्मा शहर की एक सेवा समिति ने उठाई है।
आखिर क्या है मामला
हिंदू धर्म में मान्यता है कि अंतिम संस्कार के बाद जब तक अस्थियों का विसर्जन विधि विधान से नहीं होता, तब तक मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती ऐसे ही 40 से अधिक अस्थिकलश भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में रखे हैं। जो मोक्ष पाने के लिए अपनो की राह देख रहीं हैं।
रामनगर के मुक्तिधाम में सुरक्षित रखे हैं अस्थि कलश
रामनगर मुक्तिधाम में बरसों से अस्थियां विसर्जन के इंतजार में है। अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम लाए गए शवों की अस्थि को ज्यादातर परिजन लेकर चले जाते है, लेकिन कुछ मृतक के परिजन अभी तक अस्थि कलश को नहीं ले गए है। जिन्हें रामनगर के मुक्तिधाम में सुरक्षित रखा गया है। इसका विधि विधान से विसर्जन करने शहर के सेवा समिति ने हाथ बढाया है।
परिजन देते हैं गलत जानकारी
सबसे ताज्जुब की बात ये हैं कि यहां अंतिम संस्कार करने आए मृतक के परिजन अपनी जानकारी भी लगत लिखवाते हैं। न उनका पता सही होता है और न ही मोबाइल नंबर। जिससे परिजन से संपर्क करने में बहुत समस्या आती है। इसमेंं रखे अस्थि कलश 20 वर्ष से पहले के भी हैं। अब ऐसे अस्ति कलश को भिलाई सुपेला के दिव्या ज्योति समिति के द्वारा विधि विधान से विसर्जित किया जाएगा।
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