Chhattisgarh News: राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में बस्तर अंचल के नक्सल हिंसा पीड़ितों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मिला। प्रतिनिधिमंडल में सुकमा, बीजापुर, कांकेर सहित बस्तर संभाग के वे नागरिक शामिल थे, जिन्होंने नक्सली हिंसा के कारण अपने परिजनों को खोया है या विस्थापन का दंश झेला है। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी उपस्थित थे।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए कुर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि बस्तर के हजारों परिवार चार दशकों से माओवादी आतंक का सामना कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक बुनियाद को गहरा नुकसान पहुंचा है।
हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों की प्रभावी कार्रवाई और सरकार की समावेशी विकास नीति से बस्तर में शांति और विकास की आशा फिर से जगी है।
मुख्यमंत्री साय ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना
मुख्यमंत्री साय ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद के समूल उन्मूलन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि कुर्रेगुट्टा में चलाया जा रहा सुरक्षा अभियान निर्णायक चरण में है और सरकार किसी भी कीमत पर नक्सल उन्मूलन अभियान को पूर्ण करेगी ताकि बस्तर के विकास को गति मिले। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि नक्सलवाद सिर्फ एक हिंसक आंदोलन नहीं, बल्कि हमारी सह-अस्तित्व पर आधारित संस्कृति पर खतरा भी है।
नक्सल पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है सरकार: CM
उन्होंने कहा कि हर नक्सल पीड़ित परिवार के साथ सरकार खड़ी है और सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ने या अभियान में बाधा डालने वाले किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बस्तर में स्थायी शांति और समावेशी विकास ही सरकार का लक्ष्य है, और यह तभी संभव है जब क्षेत्र को हिंसा और भय के साये से पूरी तरह मुक्त किया जाए।
बस्तर नए भारत की संभावनाओं का प्रवेश द्वार बन रहा: CM
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजनों ने जनभागीदारी और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की नई मिसाल पेश की है। इन आयोजनों में हजारों लोगों की भागीदारी ने यह साबित किया है कि बस्तर के लोग अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं और नक्सलवाद की विचारधारा से दूर होना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि बस्तर अब पिछड़ेपन का प्रतीक नहीं बल्कि नए भारत की संभावनाओं का प्रवेश द्वार बन रहा है और यहां का हर गांव, हर परिवार विकास की मुख्यधारा से जुड़े, यही हमारा लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बस्तर में उद्योग की स्थापना को लेकर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार और स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके।
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