मूंग की MSP पर खरीद के लिए इन राज्यों को केंद्र की हरी झंडी, MP के लिए सीएम का ये संकेत
मध्य प्रदेश में मूंग-उड़द की समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद न होने से अब आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है….संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने गुरुवार को मांग की कि राज्य सरकार 4 दिन के भीतर केंद्र को एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव भेजे, नहीं तो वे सीएम हाउस का घेराव करेंगे…दरअसल, इस मामले में किसान संघ ने सीएम मोहन यादव से चर्चा भी की थी…जिसमें मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि इस बार मूंग की खरीद नहीं करेंगे…इस बीच, केंद्र सरकार ने हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश से 54,166 टन मूंग और उत्तर प्रदेश से 50,750 टन मूंगफली की एमएसपी पर खरीद को हरी झंडी दे दी है…कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है…साथ ही, आंध्र प्रदेश में खरीद अवधि को 15 दिन बढ़ाकर 26 जून तक कर दिया गया है…यह खरीद केंद्रीय मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत होगी, जो तब लागू होती है जब बाजार भाव एमएसपी से कम हो जाते हैं… लेकिन, मध्य प्रदेश के मूंग किसानों को अभी भी एमएसपी पर खरीद का लाभ नहीं मिला है, क्योंकि राज्य सरकार ने केंद्र को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है…राज्य सरकार का कहना है कि मूंग फसल में केमिकल दवाओं का अधिक इस्तेमाल हुआ है, इसलिए वे खरीद नहीं करेंगे…राज्य सरकार का कहना है कि मूंग में केमिकल दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल हुआ है, इसलिए वे खरीद नहीं करेंगे…हालांकि, सीएम मोहन यादव ने अब कहा है कि वे प्राइवेट खरीदारों और किसान संगठनों को मंडियों में लाने की कोशिश करेंगे…उन्होंने कहा कि वे इस मामले में कृषि मंत्री से बात कर रहे हैं… किसान संघ के मुताबिक, मप्र में मूंग 6,200 रुपए और उड़द 6,000 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि केंद्र ने मूंग का एमएसपी 8,768 रुपए और उड़द का 7,800 रुपए तय किया है…इससे किसानों को 2,000 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। किसान संघ ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी बात की है, जिन्होंने आश्वासन दिया कि अगर राज्य सरकार प्रस्ताव भेजेगी, तो केंद्र एमएसपी पर खरीद की मंजूरी देगा। मप्र में 15 लाख हेक्टेयर में मूंग-उड़द की बुवाई हुई है और 18.75 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। लेकिन बिना एमएसपी खरीद के किसानों को मजबूरन कम दामों में फसल बेचनी पड़ रही है। अब देखना है कि सरकार और किसान संघ के बीच बातचीत से कोई हल निकलता है या नहीं।