Indian Nurse Nimisha Priya: हाल ही में भारत के केरल रहने वाली नर्स निमिषा को यमन में उनके पार्टनर का मर्डर करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई है. इस मामले में नर्स निमिषा प्रिया को जेल से रिहा करने की तैयारियां चल रहीं हैं. इसके संबंध में भारत सरकार ने निमिषा की रिहाई के लिए ब्लड मनी देने की मंजूरी दे दी है.
जिसके बाद अब भारत सरकार की ओर से दी गई ब्लडमनी के बदले निमिषा को मौत की सजा नहीं दी जाएगी. जिसका मतलब है निमिषा की रिहाई के बदले भारत सरकार ब्लड मनी देगी.
अब आप सोच रहें होंगे कि आखिर ये ब्लड मनी क्या बला है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ब्लड मनी क्या होती है और इसका इस्तेमाल कैसे और कब होता है ?
क्यों निमिषा को सुनाई गई मौत की सजा
दरअसल निमिषा अपने परिवार के साथ करीब 10 साल पहले यमन गई थीं. जिसके बाद 2014 में निमिषा के पति और बेटी भारत लौट आए थे. लेकिन निमिषा वहीं रुकी थी. कुछ समय बाद निमिषा ने यमन के नागरिक लाल अब्दो मेहदी के साथ मिलकर एक हॉस्पिटल की शुरुआत की थी.
लेकिन कुछ से बाद दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया. जिसमें तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट छुड़ा लिया. जिसके बाद 2017 में निमिषा ने अपने एक साथी के साथ मिलकर तलाल से पासपोर्ट लेने की कोशिश की जिसमें उसकी मौत हो गयी.
इस केस में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई है. लेकिन अब भारत सरकार की ओर से ब्लड मनी देकर निमिषा को रिहा करवाया जा रहा है.
क्या होती है ब्लड मनी
“ब्लड मनी” एक ऐसा कानूनी प्रावधान है जिसमें किसी हत्या या हिंसा के मामले में आरोपी व्यक्ति को सजा से बचने के लिए पीड़ित के परिवार को एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है. इस व्यवस्था को इस्लामी कानून के तहत “दिया” या “क़िसास” कहा जाता है, और इसका उद्देश्य पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा देना होता है.
यह सिस्टम कई मुस्लिम देशों में लागू है और इसमें दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक होती है. “ब्लड मनी” का भुगतान करने से आरोपी व्यक्ति को कानूनी सजा से राहत मिल सकती है, बशर्ते पीड़ित परिवार इस मुआवजे को स्वीकार कर ले.
ऐसे होता है ब्लड मनी का इस्तेमाल
“Blood money” का इस्तेमाल हत्या या हिंसा के बाद मुआवजे के रूप में किया जाता है। इसका उद्देश्य पीड़ित या उसके परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए होता है। इस शब्द का मुख्य रूप से जब उपयोग किया जाता है. जब अपराधी या उसके परिवार द्वारा पीड़ित के परिवार को दी जाती हैं, ताकि वे कानूनी कार्रवाई न करें या मामले को सुलझाने के लिए सहमत हों सकें।
विश्व के कई मुस्लिम देशों में मुआवजे के लिए इसका चलन है.