23rd Law Commission: भारत सरकार ने सोमवार को 3 साल के समय के लिए 23वें लॉ कमीशन (विधि आयोग) का गठन किया है। आपको बता दें कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्य सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे। अभी हाल ही में 31 अगस्त को 22वें विधि आयोग का कार्यकाल समाप्त हुआ है।
सोमवार 02 सितंबर देर रात गजट अधिसूचना के माध्यम से जारी लॉ कमीशन के आदेश की मानें तो, पैनल में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और सदस्य-सचिव सहित 4 पूर्णकालिक सदस्य होंगे। कानूनी मामलों के विभाग के सचिव और विधायी विभाग के सचिव इसके पदेन सदस्य होंगे।
इसी के साथ 5 से अधिक अंशकालिक सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके साथ इसमें कहा गया है कि विधि आयोग के अध्यक्ष/सदस्य, ‘जो सुप्रीम कोर्ट/ हाईकोर्ट के सेवारत न्यायाधीश हैं, वे सुप्रीम कोर्ट/हाईकोर्ट से सेवानिवृत्ति की तिथि या आयोग के कार्यकाल की समाप्ति, जो भी पहले हो, तक पूर्णकालिक आधार पर अपने कार्य करेंगे।
2020 में हुआ था 22वें लॉ कमीशन का गठन
भारत सरकार ने 22वें कमीशन का गठन 21 फरवरी 2020 को 3 साल के लिए किया था। जस्टिस अवस्थी ने 9 नवंबर 2022 को अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2023 में 22वें लॉ कमीशन का कार्यकाल बढ़ा दिया था। देश में स्वतंत्रता के बाद साल 1955 में पहला लॉ कमीशन बनाया गया था। आजादी के बाद से 22 आयोग का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इनका काम जटिल कानूनी मसलों पर सरकार को सलाह देना होता है।
22वें कमीशन की UCC को लेकर रिपोर्ट अभी भी अधूरी
22वें लॉ कमीशन ने सरकार को कई मामलों में अपने सुझाव दिए हैं। इसमें वन नेशन-वन इलेक्शन, पॉक्सो एक्ट और ऑनलाइन FIR और यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) जैसे कई कानून और मुद्दे शामिल हैं। UCC को लेकर आयोग की रिपोर्ट अभी तक अधूरी है। वहीं वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर रिपोर्ट तैयार है, लेकिन कानून मंत्रालय को जमा करने का इंतजार किया जा रहा है।
क्या है होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड
किसी भी देश में दो तरह के कानून होते हैं। पहला क्रिमिनल कानून और दूसरा सिविल कानून। आपको बता दें कि क्रिमिनल कानून में चोरी, लूट, मार-पीट, हत्या जैसे आपराधिक मामलों को रखा जाता है और इनकी सुनवाई की जाती है। इसमें सभी धर्मों या समुदायों के लिए एक ही तरह की कोर्ट, प्रोसेस और सजा तय की जाती है।
शादी और संपत्ति से जुड़े सभी मामले सिविल कानून के अंदर आते हैं। भारत में अलग-अलग धर्मों में शादी, परिवार और संपत्ति से जुड़े मामलों में रीति-रिवाज, संस्कृति और परंपराएं अलग-अलग होती हैं। यही वजह है कि इस तरह के कानूनों को पसर्नल लॉ के नाम से भी जाना जाता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए पर्सनल लॉ को खत्म करके सभी के लिए एक जैसा कानून बनाए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है।