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Captain Saurabh Kalia: कारगिल युद्ध के पहले नायक की कहानी, जो अपना पहला वेतन लेने से पहले ही शहीद हो गया

Captain Saurabh Kalia: कारगिल युद्ध के पहले नायक की कहानी, जो अपना पहला वेतन लेने से पहले ही शहीद हो गयाCaptain Saurabh Kalia: The story of the first hero of the Kargil war, who died before taking his first salary nkp

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Bansal Digital Desk
Captain Saurabh Kalia: कारगिल युद्ध के पहले नायक की कहानी, जो अपना पहला वेतन लेने से पहले ही शहीद हो गया

नई दिल्ली। कारगिल का जिक्र जब-जब होता है। हमारे चेहरे के सामने देश के कई वीरों के नाम चमकने लगते हैं। पहले नंबर पर विक्रम बत्रा का नाम आता है। इसके बाद राजेश सिंह अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता, दिगेंद्र कुमार, कैप्टन अनुज नैय्यर, कैप्टन विजयंत थापर आदि आते हैं। लेकिन एक जांबाज ऐसा भी था जिसका जिक्र कम ही होता है। ये जांबाज थे कैप्टन सौरभ कालिया। इनकी कहानी हमसब को जाननी चाहिए।

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जनवरी 1999 में कारगित पहुंचे थे

अमृतसर में जन्में कैप्टन कालिया अपने माता-पिता के साथ हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में रहते थे। यहीं से उनकी स्कूली पढ़ाई हुई थी। वे बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी तेज थे। उनके पूरे एकेडमिक करियर में कई स्कॉलरशिप मिले। एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बीएससी और एम. एड करने के बाद उन्होंने सेना में जाने का फैसला किया था। 12 दिसंबर 1998 को इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएट होने के बाद उन्हें 4 जाट रेजीमेंट में पोस्टिंग मिली थी। उनकी पहली पोस्टिंग कारगिल सेक्टर में थी। जनवरी 1999 के मध्य में वो कारगिल पहुंचे थे।

पहली पोस्टिंग के लिए काफी एक्साइटेड थे

सौरभ के पिता बताते हैं कि उनका बेटा अपनी पहली पोस्टिंग के लिए बहुत ही एक्साइटेड था। वो 5 मई 1999 को अपने पांच साथियों के साथ बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग कर रहा था, तभी पाकिस्तानी घुसपैठियों ने उन्हें बंदी बना लिया। 22 दिनों तक कैप्टन कालिया और पांच जवानों को लोहे की गर्म रॉड और सिगरेट से दागा गया। आंखें निकाल दी गई और कान को भी सलाखों से दाग दिया गया था। जब कैप्टन का शव उनके घर पहुंचा था तो उसे देखकर उनकी मां बेहोश हो गईं थीं।

सेना ज्वॉइन किए महज 4 माह हुए थे

कैप्टन सौरभ कालिया को सेना ज्वॉइन किए महज 4 माह ही हुए थे। परिवार वालों ने उन्हें यूनिफॉर्म में भी नहीं देखा था। परिवार का ये सपना, सपना ही रह गया। सौरभ कालिया सेना ज्वाइन करने के बाद अपनी पहली सैलरी तक नहीं देख पाए थे। उनका शव वर्फ में दबा मिला था। उनके कोर्समेट कालिया को याद करते हुए कहते हैं कि
वो अपनी पहली सैलरी का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। क्योंकि उसने अपनी मां को कुछ ब्लैंक चेक साइन कर के दे दीए थे और कहा था कि जब मेरी पहली सैलरी आएगी तो जितना चाहों पैसे निकाल लेना। लेकिन, वो अपनी पहली सैलरी ले पाता उससे पहले ही शहीद हो गया। सौरभ की पहली सैलरी उनकी शहादत के बाद अकाउंट में आई थी।

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कारगिल वॉर के पहले हीरो

बतादें कि कैप्टन सौरभ कालिया को कारगिल वॉर का पहला शहीद और पहला हीरो माना जाता है। उनके बलिदान से ही कारगिल युद्ध की शुरूआती इबारत लिखी गई थी। सौरभ महज 22 साल की उम्र में शहीद हो गए थे।

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