Medicines Important News: अप्रैल से दवाइयां खरीदना होगा महंगा , जानिए क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह

नई दिल्ली। अभी कोरोना की मार से लोग उभर नहीं पाए कि अब महंगाई ने आम से लेकर खास लोगों की कमर को तोड़ दिया है। बेतरतीब बढ़ती मंहगाई ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। महंगाई के इस दौर में अब लोगों को दवाइयों के लिए भी अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है। पेट्रोल-डीजल, हरी सब्जी के दाम लोगों को रुला रही है तो वहीं किराना संबंधित खाद्य सामग्री के अलावा रसोई गैस के दाम में भी बेतरतीब बढ़ोतरी हो गई है। अब तो लोगों के वाहनों पर भी ब्रेक लगने लगा है।
Wholesale Price Index में बढ़ोतरी की अनुमति
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने दवा निर्माताओं को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स (Wholesale Price Index) में 0.5 फीसदी बढ़ोतरी की अनुमति दी है। दर्द निवारक दवाइयां, एंटीइंफ्लाटिव, कार्डियक और एंटीबायोटिक्स सहित आवश्यक दवाओं की कीमतें अप्रैल से बढ़ सकती हैं।अधिकांश अंग्रेजी दवाइयों के मूल्यों में भी 20 फीसद तक की वृद्धि की जाएगी। हालांकि जेनरिक की कुछ ही दवाओं के मूल्यों में वृद्धि होगी।
20 फीसदी बढ़ सकती है कीमत
सरकार ने दवा निर्माताओं को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के अनुसार कीमतों में बदलाव की अनुमति दी है। ड्रग प्राइस रेगुलेटर, नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने कहा कि सरकार की तरफ से 2020 के लिए डब्ल्यूपीआई में 0.5 फीसदी का एनुअल चेंज नॉटिफाई हुआ है। वहीं दूसरी तरफ फार्मा इंडस्ट्री का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। एसे में कंपनिया कीमतों में 20 फीसदी बढ़ोतरी की योजना बना रही है। बता दें कि दवा नियामक की ओर से WPI के अनुरूप अनुसूचित दवाओं की कीमतों में हर साल वृद्धि की अनुमति दी जाती है।