Food Price Hiked: देश में रोजमर्रा जरूरत की चीजों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स मई 2024 में 8.69% पर पहुंच गया, जो मई 2023 में 2.91% था।
1 साल में इसमें 5.78% की वृद्धि हुई है। कमोडिटी रिसर्च फर्म की रिपोर्ट की मानें तो बीते साल की तुलना में खाने वाले तेल के दाम 30% और दालों के दाम औसतन 20% बड़ गए है।
देश में 3 साल में बढ़ गई 3 गुना महंगाई: 1 साल में खाने का तेल 30% और दालें 20% हुई महंगी, सब्जियों के दामों में उछाल#vegetables #Oil #foodprice #pricehike #impactondailylife #pulsesoil
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) June 28, 2024
2 महीनों में इतने बढ़े ग्रॉसरी के दाम
भारत के हर घर खर्च में करीब 24% की हिस्सेदारी रखने वाले किराने के सामान के भाव भी आसमान छूने लगे हैं।
पीछले 2 महीनों में साबुन से लेकर हेयर ऑयल जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम 2-17% बढ़ गए हैं। इन बढ़े हुए दामों से आम व्यक्तियों का जन जीवन प्रभावित हो रहा है।
सब्जियों के दामों में उछाल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौसम के कारण अप्रैल-जून इन तीन महीनों में टमाटर 37.6%, प्याज 89.4% और आलू 81.1% महंगे हो चुके हैं।
कंज्यूमर रिसर्च फर्म कैंटा की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी-मार्च के तीन महीनों में आम भारतीय परिवार ने ग्रॉसरी (किराना-सब्जी-दूध-अंडे- ब्रेड पनीर आदि) पर 49,418 रुपए खर्च किए।
यानी हर महीने एक आम भारतीय परिवार किराने पर 16,400 रु. से ज्यादा खर्च कर रहा है। यानी भारतीय परिवार हर माह किराने पर 2300 रु. अधिक खर्च कर रहा है।
महंगाई बढ़ने के पीछे क्या है कारण
इन सभी खाने और जरूरतों की चीजों के दाम बढ़ने के पीछे खराब मौसम, सप्लाई में दिक्कत, बढ़ती लागत और सरकारी हस्तक्षेप को बताया जा रहा है।
घरेलू उत्पादन में कमी व वैश्विक कीमतों में वृद्धि कारण सरसों, सोयाबीन और पाम तेल जैसे खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल आया है। मौसमी बदलावों और सप्लाई चेन की चुनौतियों के चलते आलू, प्याज और टमाटर की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।
प्याज के निर्यात पर 40% शुल्क लगाने से किसानों ने खेती कम कर दी, क्योंकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार से आय की उम्मीद नहीं रही।
साथ ही, सरकार प्याज के बफर स्टॉक टारगेट का 10% खरीदी नहीं कर पाई। साथ ही, सरकार की खाने-पीने की चीजों की कीमतें कम रखने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की कोशिश का उल्टा असर पड़ा। क्योंकि किसान स्टॉक रोक रहे हैं जिससे जिले में खाद्य पदार्थों की महंगाई बढ़ रही है।
क्यों बढ़े खाद्य तेल के दाम
मीडिया रिर्पोट की मानें तो कंपनियों ने कहा कि अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की सप्लाई में व्यवधान के कारण कीमतें बढ़ रही हैं।
इसी बीच, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और हरियाणा राज्य सहकारी सप्लाई और मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (HAFED) ने बड़ी मात्रा में सरसों की खरीदारी की है।
इससे सरसों की कीमत बढ़ी है। कुछ ही समय पहले सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा था, लेकिन इस खरीदारी की वजह से सरसों भाव MSP पर पहुंच गया है।
इस समय सरसों का MSP ₹5,650 प्रति क्विंटल है। सरसों महंगा होने से इसके तले का भाव भी बढ़ गया है।
सीजन में गेहूं के आवक के बावजूद आटा के दाम बढ़े
आटा 3 हजार रुपए क्विंटल पहुंच चुका है। जबकि गर्मी के मौसम में नए गेहूं के आवक ज्यादा होती हैं। जिससे आटा के दाम में कमी आती है, लेकिन इस बार गर्मी के मौसम में आटा के दाम लगातार बढ़ते गए। जिसने आम लोगों को परेशान कर दिया है। बीते साल जून महीने में आटा का दर 2800 प्रति क्विंटल था जो आज जून 2023 में 3000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है।
ये चीजें भी हो सकती हैं महंगी
दूध की बढ़ती मांग और डेयरी किसानों के लिए बढ़ती लागत के कारण डेयरी उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
मौसम से संबंधित आपूर्ति में कमी और परिवहन लागत के कारण आम और केले जैसे मौसमी फलों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
पैकेज्ड और रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों की कीमतें उत्पादन और वितरण लागत में वृद्धि के कारण बढ़ सकती हैं।
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