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Budhni: भारी पड़ी बगावत या किरार वोटर की दूरी बनी जीत के कम अंतर की वजह, जानें
मध्यप्रदेश की बुधनी सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे शनिवार को आए.. पूर्व सीएम शिवराज सिंह की सीट रही बुधनी में बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत भार्गव 13901 वोटों से जीते हैं... उन्होंने कांग्रेस के राजकुमार पटेल को हराया... हालांकि इस सीट पर 2023 के चुनाव के मुकाबले बीजेपी की जीत का अंतर काफी कम रहा.. 2023 में शिवराज सिंह चौहान यहां 1,04,974 वोटों से जीत हासिल की थी.. इस बार जीत का ये अंतर 91 हजार 73 वोट से घटकर 13 हजार 901 हो गया... बुधनी में जीत का अंतर कम रहने की एक नहीं कई वजह रही.. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी से छह बार के विधायक रहे.. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने सबसे बड़ी जीत भी हासिल की थी... उन्होंने पांच चुनाव तो यहां मुख्यमंत्री रहते लड़े थे... यानी बुधनी की जनता एक तरह से अपने वोट से सीधे मुख्यमंत्री चुनते थे... लेकिन इस बार चुनावी मैदान में शिवराज का चेहरा नहीं था... राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार किरार वोटर भी बीजेपी से दूर रहा.. बुधनी में इस वर्ग का खासा प्रभाव माना जाता है... इसी समाज से होने से शिवराज को इस वर्ग का एकतरफा समर्थन मिलता है... हालांकि इस बार चुनावी परिस्थितियां अलग थीं... इसके अलावा कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल भी किरार है, जिससे इस वर्ग के वोट बंट गए.. जब बीजेपी ने रमाकांत भार्गव के नाम का ऐलान किया तो बीजेपी नेता और इस सीट पर चुनाव लड़ने के दावेदार रहे राजेंद्र सिंह राजपूत ने खुलकर नाराजगी जाहिर की थी.... उन्हें मनाने के लिए पार्टी को खासी मशक्कत भी करना पड़ी थी... राजेंद्र सिंह 2003 में पहली और आखिरी बार विधायक चुने गए थे.. 2006 में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए बुधनी सीट छोड़ी थी... सियासी गलियारों की मानें तो रमाकांत भार्गव की उम्मीदवारी को लेकर पार्टी का जमीनी कार्यकर्ता भी नाखुश था.. कार्यकर्ताओं की पसंद शिवराज के बेटे कार्तिकेय थे..
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