BRICS Summit 22-24: इस साल ब्रिक्स सम्मेलन 22-24 अगस्त को दक्षिण अफ़्रीका के जोहानसबर्ग में होने वाला है। 15वें ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता दक्षिण अफ़्रीका के पास है, और अब यह स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होंगे।
पीएम मोदी 22 अगस्त को दक्षिण अफ़्रीका पहुंचेंगे। पीएम मोदी 23 अगस्त को शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वे 24 अगस्त को दक्षिण अफ़्रीका से ग्रीस के लिए रवाना हो सकते हैं। हालाँकि अभी ग्रीस दौरे का आधिकारिक ऐलान बाकी है।
क्या है ब्रिक्स
ब्रिक्स दुनिया की 5 सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। जिसमें अपना भारत समेत चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का नाम शामिल हैं और हर साल इसकी अध्यक्षकता क्रमानुसार देशों को मिलती हैं।
इस साल यह जिम्मेदारी दक्षिण अफ्रीका के हाथों में हैं। ब्रिक (BRIC) का औपचारिक गठन 16 जून, 2009 में हुआ था और 2010 में इस समूह में दक्षिण अफ़्रीका के शामिल होने के बाद इसका नाम ब्रिक्स (BRICS) हुआ।
सऊदी अरब, यूएई, ईरान, मिस्त्र और अर्जेंटीना समेत 30 से ज़्यादा देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं।
समिट के लिए उत्साहित प्रधानमंत्री
इस महीने की शुरूआत में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति माटेमेला सिरिल रामाफोसा ने प्रधानमंत्री मोदी से टेलीफोन पर बातचीत की थी। इस दौरान दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया और उन्हें इसकी तैयारियों के बारे में भी जानकारी दी।
इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि ‘प्रधानमंत्री ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और कहा कि वह शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जोहान्सबर्ग की अपनी यात्रा के लिए उत्सुक हैं।
वर्चुअल रुप से शामिल होगे पुतिन
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्चुअल रूप से शामिल होंगे। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग b और ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला द सिल्वा सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ़्रीका का जाएंगे।
ये देश बनना चाहते हैं हिस्सा
दक्षिण अफ्रीका में 22 से 24 अगस्त तक होने वाले शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के विस्तार पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा।
संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अर्जेंटीना, ईरान, इंडोनेशिया और कजाकिस्तान कई देश ब्रिक्स का सदस्य बनने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं और इसकी सदस्यता के लिए अप्लाई भी कर चुके हैं।
इसी के साथ ब्रिक्स के लिए रूस के स्थायी प्रतिनिधि ने पहले कहा था कि उनका देश समूह में किसी नए सदस्य के शामिल होने का न तो स्वागत करता है और ना ही विरोध. हालांकि किसी भी देश को इस संगठन का सदस्य बनाने के लिए सभी देशों के बीच सहमति होना बेहद जरूरी है।
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