Brahma Sarovar: कुरुक्षेत्र में एक प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर है जो हिंदुओं का एक पवित्र स्थान माना जाता है। इस सरोवर में एक बार डुबकी लगाने के लिए लोग बेहद दूर-दूर से आते है।
इसका संबंध महाभारत की कथा और पांडवों से माना जाता है।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ही महाभारत का युद्ध हुआ था, इसलिए यह एक ऐतिहासिक नगर और तीर्थ स्थल भी कहलाता है। कुरुक्षेत्र को ब्रह्माजी की यज्ञिय वेदी कहा जाता था।
समय और घटनाओं के अनुसार इस क्षेत्र का नाम बदलता रहा और आखिर में इस जिले का नाम कुरुक्षेत्र हो गया। कुरुक्षेत्र में बहुत सी जगह हैं जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है उनमें से एक जगह ब्रह्म सरोवर भी है।
एक डुबकी का फल हजारों अश्वमेघ यज्ञ के बराबर
ऐसा कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सरोवर के पवित्र जल में डुबकी लगाना हजारों अश्वमेघ यज्ञ करने के पुण्य के बराबर होता है।
स्थानीय लोगों में यह कथा प्रचलित है कि मुगल सम्राट अकबर के दरबारी अबुल-फजल ने सूर्यग्रहण के समय इसकी विशाल जल राशि को देखकर इसे लघु सागर के समान बताया था।
कैसे बना ब्रह्मसरोवर
ब्रह्मसरोवर ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा से जुड़ा है, लेकिन इस क्षेत्र के नाम का आधार कुरु वंश से जुड़ा हुआ है।
कुरुक्षेत्र में स्थित ब्रह्मसरोवर का निर्माण कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा कुरु द्वारा करवाया गया था, कुरुक्षेत्र नाम ‘कुरु के क्षेत्र’ को बताता है।
गीता जयंती पर होता है समारोह
ब्रह्मसरोवर के किनारे हर साल नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर की शुरुआत में गीता जयंती समारोह के दौरान कई श्रद्धालु इस तालाब की परिक्रमा और स्नान करते हैं।
इस वार्षिक उत्सव के दौरान पानी में तैरते दीपों का गहरा दान समारोह होता है और आरती की जाती है यह वही समय भी होता है जब दूर-दूर से प्रवासी पक्षी सरोवर में आते हैं।
गीता जयंती के साथ-साथ प्रत्येक सूर्य ग्रहण के अवसर पर यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।