नई दिल्ली। बदलती लाइफ स्टाइल में आज कल आप जिसके मुंह से चाहे ब्लड प्रेशर की शिकायत के बारे में सुन सकते हैं। किसी हाई तो किसी को लो बीपी की शिकायत बनी हुई है। आपके अक्सर देखा होगा इसका सामान्य स्तर 120/80 बताया जाता है। पर आपने कभी सोचा है कि ये आखिर होता क्या है। ब्लड प्रेशर में ऊपर का 120 और नीचे का 80 कहा जाता है। यदि नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं।
ब्लड प्रेशर चेक करवाते हैं तो आपको 120-80, दो तरह की रीडिंग बताई जाती है। इन्हीं के आधार पर हाई और लो ब्लड प्रेशर या ब्लड सर्कुलेशन का निर्धारण किया जाता है। इससे पता चलता है कि ब्लड प्रेशर कितना होता है। आपने अक्सर देखा होता शरीर में अन्य किसी भी प्रकार के टेस्ट जैसे शुगर में एक डिजिट में रीडिंग दी जाती है। लेकिन, ब्लड प्रेशर में ये दो रीडिंग क्यों होती है। इनका क्या मतलब होता है।
क्या होता है दो रीडिंग का मतलब —
आपको बता दें ब्लड प्रेशर दो तरह के होते हैं। पहला सिस्टोलिक (Systolic) ब्लड प्रेशर। दूसरा डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर। आम भाषा की बात करें तो ऊपर के ब्लड प्रेशर को कहते हैं सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर। नीचे के ब्लड प्रेशर को कहते हैं डायस्टोलिक प्रेशर।
आप भी चैक करें मशीन में नाम
अगर आप भी गौर से ब्लड प्रेशर वाली मशीन में देखेंगे तो आपको एक रीडिंग के आगे SYS और एक के आगे DIA लिखा दिखेगा। जिसका अर्थ क्रमश: सिस्टोलिक व डायस्टोलिक प्रेशर होता है।
आप भी समझ लें इनका मतलब —
सिस्टोलिक का मतलब है कि जब खून को हमारा दिल पंप करता है और डायस्टोलिक का मतलब है एक पंप से दूसरे पंप के बीच का जो समय होता है। हमारे शरीर में खून को पंप करने और इसे पूरे शरीर में भेजने का काम भी दिल का ही होता है। सामान्य रूप से इसे ऐसे समझा जा सकता है कि ब्लड प्रेशर पूरी तरह हमारे दिल पर निर्भर करता है। धमनियों पर जोर पड़ने पर हाई ब्लड प्रेशर होता है। यानि हमारे दिल को ज्यादा जोर लगाकर काम करना पड़ता है। इसके विपरीत जब धमनियां अपेक्षाकृत धीरे धड़कती हैं। जिसके कारण खून का संचार पूरी तरह से शरीर में नहीं हो पाता है तो ब्लड प्रेशर कम होने लगता है।