जबलपुर: कोरोना महामारी ने मानव स्वास्थ्य के लिए ही चुनौती खड़ी नहीं की बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को भी पटरी से उतार दिया है। हालात ये हैं कि जरूरतमंद मरीजों को खून तक नहीं मिल पा रहा। जबलपुर के ब्लड बैंकों में आधे से भी कम ब्लड यूनिट का स्टॉक बचा है। जिसके चलते कई मरीजों की जान पर बन आई है।
ब्लड बैंक के सामने बैठे मरीजों के इन परिजन को उम्मीद है कि उन्हें जिस ग्रुप का ब्लड चाहिए वो उन्हें मिल जाएगा। लेकिन इसकी गारंटी देने को ब्लड बैंक में कोई तैयार नहीं, दरअसल जबलपुर के तमाम ब्लड बैंकों में खून बचा ही नहीं है। हालात ऐसे हैं कि पिछले साल की तुलना में ब्लड बैंकों में आधे से भी कम यूनिट ब्लड रह गया है। ब्लड एक्सचेंज में मिल रहा है। या फिर मरीजों के परिजनों को दोस्तों, रिश्तेदारों से गुहार लगाना पड़ रही है।
एल्गिन हॉस्पिटल के पैथोलॉजी विशेषज्ञ एवं ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. संजय मिश्रा की मानें। तो कोरोना महामारी से पहले ऐसे हालात नहीं थे। ब्लड बैंक से हर जरूरतमंद की खून की जरूरत पूरी हो जाती थी। लेकिन कोरोना के चलते रक्तदान शिविरों में आई कमी और कोरोना की सख्त गाइडलाइन से ब्लड बैंकों में खून की कमी हो गई है।
किसी इंसान का जीवन बचाने में नसों में दौड़ रहा खून अहम भूमिका निभाता है। कोरोना के इस दौरा में जहां महामारी ने कई जिंदगियां छीन ली हों, वहीं खून की कमी से किसी की जान नहीं जानी चाहिए। आज जरूरत इस बात की है, कि हम रक्तदान शिविर का इंतजार ना करें। समय निकालकर ब्लड बैंक जाएं और खुशी-खुशी रक्तदान कर किसी का जीवन बचाएं।