भोपाल। इन दिनों प्रदेश से लगातार सड़क हादसों की खबरें सामने आ रही है। लोगों की जान जा रही है। ऐसे में आज हम आपको मप्र के ऐसे 465 ब्लैक स्पॉट (Black Spot) के बारे में बताएंगे जहां से गुजरना जानलेवा साबित हो सकता है।
क्या है ब्लैक स्पॉट?
ट्रैफिक पुलिस (Traffic Police) और रोड सेफ्टी की भाषा में ‘ब्लैक स्पॉर्ट’ उसे कहते हैं जहां दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। मध्य प्रदेश में हर साल ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ती जा रही है। 2019 में ब्लैक स्पॉट की कुल संख्या 455 थी जो साल 2021 में बढ़कर 465 हो गई है। खासकर पांच जिलों में ब्लैक स्पॉट की संख्या तेजी से बढ़ी है। वहीं पांच जिले ऐेसे भी हैं जहां इसमें कमी भी आई है। ये जिले हैं- रायसेन, सीहोर, खरगोन, देवास और कटनी।
इन जिलों में ब्लैक स्पॉट की संख्या में आई कमी
मालूम हो कि रायसेन में साल 2019 में कुल 22 ब्लैक स्पॉट थे जो अब कम होकर 8 रह गए हैं। वहीं सीहोर में 24 ब्लैक स्पॉट थे जो अब कम होकर 16 हो गए हैं। खरगोन में साल 2019 में 29 ब्लैक स्पॉट थे जो अब 21 हो गए, देवास में 14 ब्लैक स्पॉट थे जो अब 8 रह गए, वहीं कटनी मं 23 ब्लैक स्पॉट थे जो अब कम होकर 18 रह गए हैं।
इन 5 जिलों में ब्लैक स्पॉट बढ़े
प्रदेश के पांच जिले जहां तेजी से ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ी है। सागर में 1 साल के अंदर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ी। साल 2019 में यहां 11 ब्लैक स्पॉट थे जो अब 28 हो गए हैं। वहीं छिंदवाड़ा में 8 थे जो अब 17 हो गए हैं, धार में 6 से 14 हो गए। सीधी में 9 थे जो अब बढ़कर 14 हो गए हैं। जबकि जबलपुर में 10 ब्लैक स्पॉट थे जो अब बढ़कर 16 हो गए हैं।
भोपाल में 22 ब्लैक स्पॉट
वहीं राजधानी भोपाल में ब्लैक स्पॉर्ट की स्थिति को देखें तो यहां 22 ब्लैक स्पॉट को चिन्हित किया गया है। शहर में आनंद नगर, गांधी पार्क, मालवीय नगर, बोगदा पुल तिराहा, सुदामा नगर कॉलोनी रोड, डीआईजी बंगला चौराहे से करोंद मार्ग, एयरपोर्ट रोड पर ब्रिज के नीचे पेट्रोल पंप क्रॉसिंग, मंदाकिनी चौराहा, आरआरएल तिराहा, राजमार्ग 28 भोपाल बायपास पर कट पॉइंट, आयोध्या नगर चौराहा, छोला गणेश मंदिर रोड, बागसेवनिया तिराहा, ट्रिनिटी कॉलेज डिवाइडर, साक्षी ढाबा, पत्रकार भवन से अंकुर स्कूल, ओरिएंटल कॉलेज तिराहा को ब्लैक स्पॉट चिन्हित किया गया है।
ब्लैक स्पॉट किसे माना जाता है?
राष्ट्रीय राजमार्ग पर 500 मीटर का वह क्षेत्र जहां पिछले 3 साल में या तो 5 सड़क दुर्घटना या 10 मौत हुई हों, उस जगह को ब्लैक स्पॉट माना जाता है। प्रशासन समय-समय पर ऐसे ब्लैक स्पॉट की पहचान कर सुरक्षात्मक उपाय करता रहता है। इन जगहों को ब्लैक स्पॉट बनने से पहले रोकने के लिए जन जागरूकता जरूरी है, जिसे हम परिवहन नियमों का पालन करके रोक सकते हैं।
ब्लैक स्पॉट की संख्या अधिक हो सकती है
यातायात विशेषज्ञों की माने तो प्रदेश में आधिकारिक तौर पर ब्लैक स्पॉट भले ही 465 माने गए हों, लेकिन इनकी संख्या इनसे कहीं ज्यादा है। क्योंकि लोक निर्माण विभाग, प्रदेश में ब्लैक स्पॉट चिन्हित करता है। सूत्रों का कहना है कि जिन पर ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने की जिम्मेदारी होती है, वे अधिक हादसों से संबंधित थानों से जानकारी जुटा लेते हैं और उन्हें ही ब्लैक स्पॉट घोषित कर देते हैं। जबकि उन्हें उन स्थानों पर भी जाना चाहिए, जहां हादसों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन वे भी आवाजाही के लिए घातक हैं। यदि ऐसा हो तो ब्लैक स्पॉट की संख्या काफी ज्यादा होगी।
प्रदेश में ब्लैक स्पॉट वाले जिले
खरगोन-21, सीहोर और मुरैना-24 (दोनों जिलों में 24-24), कटनी-18, रायसेन-22, भिंड और खंडवा-19, बड़वानी- 17, भोपाल- 22, उज्जैन- 15, देवास- 08, शिवपुरी-13, रतलाम, ग्वालियर और शहडोल- 12, सागर- 11, इंदौर, बुरहानपुर, जबलपुर और सतना- 16, राजगढ़, होशंगाबाद, मंदसौर, पन्ना और मंडला-9, विदिशा और छिंदवाड़ा- 17, दमोह और छतरपुर-7, दतिया, नीमच और सीधी- 14, धार-14 बैतूल- 5, गुना, शाजापुर, रीवा और टीकमगढ़-4, सिंगरौली और बालाघाट- 3, अशोकनगर और झाबुआ- 2, हरदा, सिवनी और अनूपपुर- 1। श्योपुर, आलीराजपुर, आगर, नरसिंहपुर, उमरिया, निवाड़ी और डिंडौरी में कोई ब्लैक स्पॉट नहीं है।