Vijay Shah Controversy, MP High Court: ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग करने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर, मंत्री विजय शाह के द्वारा दिए गए विवादित बयान (Vijay Shah Controversy) पर एमपी हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। हालांकि, मंत्री पहले ही मामले को लेकर माफी मांग चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद, मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के खिलाफ बिना देरी किए FIR के निर्देश दिए है।
4 घंटे के भीतर दर्ज हो FIR
मामले में जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने मंत्री पर 4 घंटे के भीतर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। युगलपीठ ने विजय शाह के इस बयान (Vijay Shah Controversy) को भड़काने वाला और गैरजिम्मेदाराना बताया है। कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि- मंत्री ने कर्नल सोफिया कुरैशी की तुलना आतंकवादियों से की जो बेहद निंदनीय और अक्षम्य है।
कोर्ट ने सेक्शन 152 BNS,196B और 197 के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। बता दें, भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत लगीं ये सभी धाराएं गैरजमानती हैं और यह देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों से संबंधित हैं। ये धाराएं विद्रोह, अलगाव, शत्रुता और विभाजनकारी बयानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान करती हैं।
कोर्ट की टिप्पणी
भारतीय दंड संहिता की धारा 153A की उप-धारा (1) के खंड (a) के अनुसार, किसी भी धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह, जाति या समुदाय के सदस्य होने के कारण किसी वर्ग के लोगों के कर्तव्य के संबंध में किसी भी प्रकार के कथन, सलाह, निवेदन या अपील का प्रकाशन अपराध माना गया है, यदि ऐसा कथन, सलाह, निवेदन या अपील ऐसे सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच वैमनस्य, घृणा, शत्रुता या दुर्भावना उत्पन्न करता है या करने की संभावना रखता है। मंत्री विजय शाह द्वारा दिया गया बयान प्रथम दृष्टया मुस्लिम समुदाय के सदस्यों और अन्य धर्म के व्यक्तियों के बीच वैमनस्य, घृणा या दुर्भावना पैदा करने की प्रवृत्ति रखता है।

एडवोकेट जनरल ने क्या कहा?
जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने पैरवी की। मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने जांच के लिए न्यायधीशों से तीन दिन की मोहलत मांगी। प्रशांत सिंह ने कोर्ट में कहा कि मीडिया में प्रकाशित खबरें तोड़-मरोड़कर पेश की गईं होती हैं, इसलिए इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
एडवोकेट जनरल ने कोर्ट से कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए और इसके लिए उन्होंने बार-बार कोर्ट से समय मांंगा। लेकिन, जस्टिस अतुल श्रीधरन ने उनकी बात को नकारते हुए कहा कि उन्होंने खुले मंच से यह अपमानजनक बयान दिया था और उनका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। उसके बाद अब सफाई की कोई गुंजाइश नहीं होगी। इसलिए, उनपर गैरजमानती धाराओं के तहत FIR दर्ज होनी ही चाहिए।

डीजीपी को सख्त निर्देश
जस्टिस ने कहा कि जिम्मेदारों के ऐसे बयान अपमानजक हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी राष्ट्र की गौरवशाली बेटी, सभी भारतीयों की बहन हैं। मंत्री का ये बयान बेतुका है। मंत्री के बयान से न केवल एक महिला अधिकारी का अपमान हुआ है, बल्कि यह भारतीय सेना की गरिमा और राष्ट्रीय एकता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। ऐसे बयान सामाजिक सद्भाव को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
हाई कोर्ट के युगलपीठ ने मामले में डीजीपी को यह निर्देश दिया है कि वे तत्काल मंत्री विजय शाह के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (बी.एन.एस.) की धारा 152, 196(1)(ख) और 197(1)(ग) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करें। यह एफआईआर 14 मई 2025, बुधवार यानी आज शाम तक FIR दर्ज की जाए, अन्यथा गुरुवार सुबह उनपर अवमानना कार्रवाई होगी। युगलपीठ ने कहा- महाधिवक्ता कार्यालय को निर्देशित किया जाता है कि यह आदेश तुरंत राज्य के पुलिस महानिदेशक कार्यालय तक पहुँचाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कार्यवाही हो। साथ हीं कोर्ट ने रजिस्ट्रार (आई.टी.) से मंत्री विजय शाह द्वारा दिए गए आपत्तिजनक भाषण से संबंधित सभी वीडियो लिंक एकत्र करने का भी निर्देश दिया है।

कल फिर होगी मामले की सुनवाई
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए गुरुवार यानी 15 मई की सुबह 10.30 बजे सबसे पहले करने की बात कही है। मामले को युगलपीठ ने टॉप आफ द लिस्ट रखते हुए अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर दर्ज किए जाने के संबंध में न्यायालय को अवगत कराया जाए।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान
बता दें, एमपी हाईकोर्ट के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी अब मामले में संज्ञान लिया है। महिला आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया राहटकर ने X पर एक ट्वीट करके मंत्री विजय शाह के इस बयान को अपमानजनक बताया है। उन्होंने कहा है कि ‘जिम्मेदार व्यक्तियों के द्वारा किए गए ऐसे बयान अपमानजनक हैं। मंत्री पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।’
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जो महिलाओं के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य हैं। यह न केवल हमारे समाज में महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि राष्ट्र की उन बेटियों का भी अपमान है जो देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका… pic.twitter.com/8u65Cj4Fqq
— Vijaya Rahatkar (@VijayaRahatkar) May 14, 2025
क्या था मंत्री जी का बयान
दरअसल, मोहन सरकार के मंत्री विजय शाह ने हाल हीं में एक विवादित बयान (Vijay Shah Controversy) दिया, जिसमें उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी का जिक्र किया। मंत्री के बयान का कांग्रेस ने विरोध किया और उन्हें पद से हटाने की मांग की। मानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मंत्री शाह ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि जिन आतंकियों ने लोगों को मारा, उनके कपड़े उतरवाए और हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा।
उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हीं की बहन को भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई। बयान को लेकर जब राजनीति गरमा गई तो बाद में मंत्री ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को अलग संदर्भ में नहीं देखना चाहिए। वो हमारी बहनें हैं। उन्होंने पूरी ताकत से सेना के साथ मिलकर काम किया है।
उमा भारती बोलीं- उन्होंने देशवासियों को लज्जित किया
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने विजय शाह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने पूरे देशवासियों को लज्जित किया है। उन्होंने मांग की कि विजय शाह की मंत्री पद से बर्खास्तगी और उनके खिलाफ FIR दोनों कार्रवाई तुरंत होनी चाहिए।
विजय शाह जी की मंत्री पद से बर्खास्तगी एवं FIR दोनों कार्रवाई तुरंत होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने पूरे देशवासियों को लज्जित किया है। @BJP4India @BJP4MP @CMMadhyaPradesh @vdsharmabjp
— Uma Bharti (@umasribharti) May 14, 2025
क्या बोले जीतू पटवारी?
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय से यह स्थापित हो गया है कि विजय शाह का बयान न केवल व्यक्तिगत बल्कि समाज में संकीर्णता और घृणा को बढ़ावा देने वाली सोच का प्रतिनिधित्व करता है। यह बयान महिला सम्मान की परंपरा को भी प्रभावित करता है। भाजपा को समझना होगा कि यह मामला संविधान, सेना और बेटियों के सम्मान का सवाल है। विजय शाह को मंत्री पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री से मांग है कि विजय शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए।
माननीय मप्र हाईकोर्ट का हृदय से आभार!
उच्च न्यायालय के निर्णय से यह स्थापित हो गया है कि विजय शाह, व्यक्ति के साथ एक सोच का भी प्रतिनिधित्व करता है!
यही सोच समाज में संकीर्णता और घृणा को बढ़ावा देती है! महिला सम्मान की परंपरा को भी प्रभावित करती है!@BJP4India को समझना होगा कि…
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) May 14, 2025