भाजपा नेता एवं गुजरात से सांसद मनसुख वसावा ने पार्टी छोड़ी, लोकसभा सदस्यता भी छोड़ेंगे

भरूच (गुजरात), 29 दिसंबर (भाषा) भाजपा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा ने मंगलवार को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह संसद के बजट सत्र में लोकसभा के सदस्य के तौर पर भी इस्तीफा दे देंगे। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र का उनका विरोध इसकी वजह है।
गुजरात के जनजाति बहुल भरूच से छह बार सांसद रहे वसावा (63) ने कहा कि सरकार या पार्टी के साथ उनका कोई मुद्दा नहीं है और वह स्वास्थ्य कारणों से पार्टी छोड़ रहे हैं।
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में पारिस्थितिकी संवेदनेशील क्षेत्र घोषित करने के केंद्र सरकार के फैसले के चलते वह पार्टी छोड़ रहे हैं।
वसावा ने 28 दिसंबर को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आर सी पाटिल को लिखे पत्र में कहा कि वह संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद भरूच से सांसद के तौर पर इस्तीफा दे देंगे।
वसावा ने पत्र में कहा कि उन्होंने पार्टी का वफादार बने रहने और पार्टी के मूल्यों को अपने जीवन में आत्मसात करने की पूरी कोशिश की लेकिन वह इंसान हैं और गलतियां उनसे हो सकती हैं।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘मैं अंतत: एक मनुष्य हूं और मनुष्य गलतियां कर देता है। पार्टी को मेरी गलतियों के कारण नुकसान नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं और पार्टी से माफी मांगता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं संसद के आगामी बजट सत्र में लोकसभा अध्यक्ष से मिलूंगा और बतौर सांसद उन्हें अपना इस्तीफा सौपूंगा।’’
वैसे वसावा ने संवाददाताओं से बातचीत में यह बताने से इनकार कर दिया कि गलतियों से उनका मतलब क्या है।
उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा या सरकार के साथ मेरा कोई मुद्दा नहीं है…मैं सांसद हूं लेकिन मैं पीठ दर्द के चलते यात्रा नहीं कर पाता और अपने लोगों के बीच नहीं जा पाता…’’
पाटिल ने कहा था कि वसावा एक संवेदनशील व्यक्ति हैं जो अपने लोगों के लिए संघर्ष करते हैं। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि वह पार्टी छोड़ने की अपनी योजना बदल लेंगे।
पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा था, ‘‘मुझे भेजे अपने पत्र में वसावा ने बस इतना कहा है कि वह बजट सत्र में सांसद के तौर पर इस्तीफा दे देंगे। वह कुछ मुद्दों को लेकर नाखुश हैं और मैंने आज सुबह मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ उन मुद्दों पर चर्चा की।’’
उन्होंने कहा था कि वसावा खासकर उनके निर्वाचन क्षेत्र में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र की घोषणा से नाखुश हैं।
वसावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले सप्ताह पत्र लिखकर मांग की थी कि नर्मदा जिले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना वापस ली जाए।
पाटिल ने कहा था, ‘‘ मुख्य मुद्दा पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र का है जिन्हें केंद्र ने भूखंड के कुछ हिस्सों पर घोषित किया है। ऐसा जान पड़ता है कि जिलाधिकारी द्वारा कुछ जमीनों के बारे में कुछ प्रविष्टियां की गयीं, तब से कुछ लेाग इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों को गुमराह कर रहे हैं ।’’
सघन अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर नाराज वसावा ने पिछले साल नौकरशाही पर यह कहते हुए अपनी नाराजगी उतारी थी कि वातानुकूलित घरों में रहने वाले इन लोगों को गरीबों का दर्द मालूम नहीं है।
भाषा राजकुमार अविनाश
अविनाश