किसान बिल को भुनाने में लगे दोनों दल, उपचुनाव में खास मुद्दा

भोपाल. हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा पास किए गए किसान बिल को भुनाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल लगे हैं, लेकिन सियासी हल्कों में यह माना जा रहा है कि इस बिल का व्यापक असर होने के आसार नहीं हैं। एक तरफ कांग्रेस इस बिल को किसान विरोधी बताकर उपचुनाव में लाभ लेना चाह रही है तो दूसरी तरफ भाजपा इसे किसान हितैषी बताकर विजय का परचम फहराने की कोशिश कर रही है।
कई स्थानों पर हो चुका विरोध
किसान बिल का पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान काफी विरोध कर चुके हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार इस मृद्दे को अच्छी तरह भुनाना चाहते हैं और इसकी खामिया गिना रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के लोग गांव—गांव लोगों के बीच जाकर इस बिल की अच्छाइयां बता रहे हैं, जिससे पार्टी की छवि किसान विरोधी नहीं बने।
छह बिंदुओं पर दे रहे सफाई
किसान बिल को लेकर भाजपा वैसे काफी सजग दिखाई दे रही है और कांग्रेस के विरोध को किसी कीमत पर कारगर नहीं होने देना चाहती। न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी, मंडी सिस्टम कायम रहने, वन नेशन वन मार्केट, बिना पेनाल्टी एग्रीमेंट से हटने, जमीन की बिक्री लीज व गिरवी प्रतिबंधित होने, ज्यादा मुनाफा देने के तरीकों आदि छह बिंदुओं पर विस्तार से समझा रहे हैं।